‘काले कैश के कुबेर’ पार्थ चटर्जी के पास 11 साल पहले थे सिर्फ 6300 रुपए

कोलकाता

सेंट्रल डेस्क। ‘काले कैश के कुबेर’ पार्थ चटर्जी के पास महज 11 साल पहले केवल 6300 रुपये ही थे। यह तथ्य सामने आया है, चुनाव आयोग के सामने पेश पार्थ चटर्जी के एक हलफनामे के हवाले से। अब सवाल उठना लाजिमी है कि महज 11 साल में यह रकम करोड़ों रुपयों में कैसे पहुंच गई। इसी की जांच ईडी कर रही है। पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री और टीचर भर्ती घोटाले में आरोपी पार्थ चटर्जी के चुनाव आयोग में पेश हलफनामे में बताया था कि 2021 के विधानसभा चुनाव में कि उनके पास सिर्फ 148676 रुपए नकद हैं। जबकि 2011 में उन्होंने अपने पास यह रकम सिर्फ 6300 रुपये ही बताई थी।

इस बीच शिक्षक भर्ती घोटाले में गिरफ्तार पार्थ चटर्जी की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आखिरकार गुरुवार को उन्हें कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखा दिया। हालांकि यह कदम तमाम आलोचनाओं के बाद उठाया गया है। पार्थ चटर्जी की खास करीबी अर्पिता मुखर्जी के ठिकानों से लगातार मिल रहे कैश के बाद ममता सरकार यह कदम उठाने पर मजबूर हो गई।

ईडी ने अब तक अर्पिता मुखर्जी के ठिकानों से 50 करोड़ रुपए से ज्यादा की नकदी बरामद की है। सूत्रों के मुताबिक, अर्पिता मुखर्जी ने ईडी की पूछताछ में स्वीकार कर लिया है कि यह सारा पैसा पैसा पार्थ चटर्जी का है। हालांकि, 2011 में पार्थ चटर्जी ने कुल 1164555 रुपए की इनकम दिखाई थी।

जबकि इसके बाद उन्होंने 2021 में उन्होंने इनकम टैक्स रिटर्न में कुल आय 539720 रुपए दिखाई। फिर सवाल उठता है ऐसे में जो करोड़ों का कैश अब बरामद हो रहा है। वह कहां से आया। जाहिर तौर पर इस रकम को टीचर भर्ती घोटाले से देखकर ही देखा जाएगा।