पश्चिम चम्पारण जिला में विभिन्न मछलियों के स्पॉन, सीडलिंग, अंडा, जीरा का उत्पादन

बेतिया

-कल्चर्ड बड़ी मछलियों का उत्पादन कर मत्स्य उत्पादन में जिला को बनाएं आत्मनिर्भर : कुंदन कुमार
-मछलियों का अत्यधिक उत्पादन कर, अन्यत्र आपूर्ति करें, जिला के मत्स्य उत्पादक किसानों को मिले रोज़गार
-जिला पदाधिकारी ने पिपरा में मिश्रा मत्स्य विकास हैचरी, पिपरा का अवलोकन किया
-अर्नामेंटल फिश प्रोडक्शन, सोलर पम्पिंग सेट के उपयोग से फिड उत्पादन का निर्देश

बेतिया/अवधेश कुमार शर्मा: पश्चिम चम्पारण ज़िला को मत्स्य उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में प्रशासन सभी संभव सहयोग करने की कार्य योजना बना रहा है। ज़िला प्रशासन मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में जिला को आत्मनिर्भर बनाने को तीव्र गति से कार्य कर रहा है। जिला के विभिन्न स्थान पर पर किसानों को प्रोत्साहित, आर्थिक सहायता प्रदान कर फिश हैचरी का जिला प्रशासन निर्माण करा रहा है। जिला में विभिन्न मछलियों के स्पॉन, सीडलिंग, अंडा, जीरा का उत्पादन भी किया जा रहा है। इसके साथ ही कल्चर्ड बड़ी मछलियों का उत्पादन भी किया जा रहा है। सरकार एवं जिला प्रशासन जिला को मछली उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने को कृतसंकल्पित है।

इसी क्रम में डी एम कुंदन कुमार ने गुरुवार को मिश्रा मत्स्य विकास हैचरी, पिपरा का अवलोकन किया। वहां उन्होंने संबंधित पदाधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिया। जिला पदाधिकारी ने पदाधिकारियों एवं मत्स्य पालकों से कहा कि प्रयास ऐसा करें कि पश्चिम चम्पारण जिला मांग अनुरुप मत्स्य का अत्यधिक उत्पादन करें, जिससे हम मछली की आपूर्ति अन्यत्र कर सकें।

अवलोकन के क्रम में कुंदन कुमार की मिश्रा मत्स्य विकास हैचरी के प्रबंधक ने बताया कि बायोफ्लाक तकनीक स्थापना में के लिए राज्य सरकार ने लागत मूल्य आठ लाख पचास हजार रूपए का 50 प्रतिशत सब्सीडी दिया है। सरकार की आर्थिक सहायता से सीडलिंग, जीरा एवं बड़ी मछलियों का उत्पादन किया जा रहा है। इससे अत्यधिक लाभ भी मिल रहा है। जिला में मछली की खपत के अनुरुप उत्पादन कर मांग अनुरुप पूर्ति का प्रयास किया जा रहा है।

इसके अतिरिक्त बिहार राज्य के अन्य जिले जैसे कैमूर, गया, मोतिहारी को अधिक मात्रा में मछली आपूर्ति की जा रही है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में रोहू, नैनी एवं कतला मछली के स्पॉन भी यहां तैयार किए जा रहे हैं। बड़ी मछली यहीं कल्चर करके निर्यात किए जा रहे हैं।

जिला पदाधिकारी ने सिडलींग से लेकर मछली उत्पादन जानकारी प्राप्त किया एवं प्रबंधक का उत्साहवर्धन करते हुए, व्यापक पैमाने पर उत्पादन करने को कहा। जिला पदाधिकारी ने प्रबंधक से नवीन तकनीक आधारित मत्स्य उत्पादन करने का भी सुझाव दिया। उन्होंने उर्जा की खपत करने एवं लागत कम करने को सौर उर्जा आधारित पम्पींग सेट का उपयोग करने का सुझाव दिया। जिला मत्स्य पदाधिकारी गणेश राम को निदेश दिया कि इस प्रकार के अन्य फिश हैचरी का निर्माण कराने के निमित्त किसानों को जागरुक एवं प्रेरित करें।

इच्छुक किसानों की लिस्टिंग करते हुए उन्हें सरकार के दिए जाने वाली सुविधाओं को उपलब्ध कराते हुए, सर्वाधिक मछली उत्पादन कराएं। मत्स्य उत्पादन के लिए किसानों को प्रशिक्षित कराना सुनिश्चित करें। जिलाधिकारी ने निदेश दिया कि ऑर्नामेंटल फिश का उत्पादन इसी जिले में हो, इसके लिए टारगेटेड बेस्ड कार्ययोजना तैयार करते हुए क्रियान्वयन कराएं। उन्होंने कहा कि फिश प्रोडक्शन के लिए चंवर काफी अनुकूल होता है, इसके विकास के लिए जिले के विभिन्न जगहों पर कलस्टर तैयार कराएं तथा उन्हें प्रशिक्षण दिलाना सुनिश्चित करें।

उन्होंने कहा कि फिड प्रोडक्शन भी इसी जिले में प्रारम्भ हो सके, इसके लिए भी किसानों को प्रेरित करें एवं आवश्यक कार्रवाई करें। इस दौरान उप विकास आयुक्त अनील कुमार, एएसडीएम अनिल कुमार, जिला मत्स्य पदाधिकारी गणेश राम, सहायक निदेशक उद्यान विवेक भारती व अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे।

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