एक टिप्पणी पर अन्तर्राष्ट्रीय इस्लामिक देशों का संकेत क्या कहता है?

विचार

विद्यासागर त्रिपाठी
भाजपा के दो निलम्बित प्रवक्ताओं नूपुर शर्मा व नवीन जिंदल द्वारा एक टीवी डिबेट में एक समसामायिक पैनलिस्ट को जबाब देते हुये पैगंबर मोहम्मद पर जिस तरह की उन्होंने तथाकथित विवादित टिप्पणी की थी उसको लेकर अब तक कई इस्लामिक देश आपत्ति जता चुके हैं, इनमें कतर,कुवैत,सऊदी अरब, ईरान, इराक, ओमान, यूएई, जॉर्डन,बहरीन, मालदीव, लीबिया और इंडोनेशिया सहित अफगानिस्तान पाकिस्तान भी सम्मिलित हैं। इसी मामले में विभिन्न इस्लामिक राष्ट्रो ने अपने अपने देशों में स्थित भारतीय राजदूतों को तलब करके नूपुर सर्मा की टिप्पणी पर अपनी आपत्ति दर्ज करायी हैै।

एक ओर नूपुर सर्मा की विवादित टिप्पणी पर जहां लगभग सभी मुस्लिम देश लामबद्ध हैं, वहीं भारत सरकार ने यह कहते हुये कि भारत सरकार सभी धर्मों का बराबर सम्मान करती हैै, नूपुर सर्मा की टिप्पणी से भारत सरकार का रूख अलग है, साथ ही भाजपा ने नूपुर सर्मा के विरूद्ध कार्यवाही करते हुये उन्हें पार्टी से निलम्बित भी कर दिया हैै, लेकिन भारत के ही कुछ विपक्षी नेता गण सहित विश्व के इस्लामिक देश अभी भी संतुष्ट नहीं हैं जिसे भारत से भी हवा पानी उपलब्ध कराया जा रहा है।

भारत सहित अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मुस्लिम मजहबी एकजुटता काबिले तारीफ है,जिसकी जितनी प्रशंसा की जाय वो कम ही हैै,जिससे भारतीय हिन्दू समाज को अपने धर्म तथा अपने आराध्य देवी देवताओं की आस्था के प्रति कुछ सीख लेनी चाहिये, जो आये दिन कहीं न कहीं अपने आराध्यों के प्रति या तो स्वयं विवादित बयान देते रहते हैं या फिर देश व समाज के बीच अन्य किसी हिन्दू अथवा विधर्मी द्वारा की गयी अपमान जनक टिप्पणी को सुनकर नजरअंजाज करके आगे बढ़ जाते हैं,नूपुर सर्मा की उस टिप्पणी पर उन भरतीय धर्मनिर्पेक्षिता वादियो को विशेष रूप से गम्भीरता से विचार करना चाहिये जिन्हें अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर कुछ भी कहने का संवैधानिक अधिकार प्राप्त होने का दम्भ हैै,जिसकी आड़ में कौन किस देवी देवता को किस किस तरह से अपमानित करने लगता हैै।

यह अति विचार्णीय विषय हैै,सम्पूर्ण विश्व के लगभग सभी मुस्लिम देशों ने भारत सरकार को जिस एक टिप्पणी पर घेरने का प्रयास किया उसी बिन्दु पर भारत का लगभग सम्पूर्ण राजनैतिक विपक्ष भी भारत सरकार को घेरना चाहता हैै, इसके पीछे उन्हें अपने भारत देश की अन्तर्राष्ट्रीय छवि पर पड़ने वाले कुप्रभाव की चिंता नहीं हैै, उन्हें खुशी इस बात की हैै कि मोदी जी की सरकार को बदनाम करने के लिए एक मौका घर बैठे बिठाये मिल गया है, तो क्यों न उसका लाभ उठाया जाय,भले ही अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की साख पर कितना भी बुरा असर पड़े, पर मोदी सरकार बदनाम हो जाय,इसी में उन्हें खुश होने का मौका तथा भविष्य का अवसर दिखाई देता है।

हिन्दुस्तान का प्राचीन इतिहास भी यही याद दिलाता कि हिन्दू कभी भी एकजुट नहीं हुआ,आपसी कलह,निजी स्वार्थ,लालच और झूंठी शॉन तथा राजगद्दी प्राप्त करने की अति राजनैतिक महत्वाकाँक्षाओं ने उन्हें सर्वाधिक समय तक गुलामी का मंजर झेलने को मजबूर किया लेकिन हिन्दू जनमानस ने अब तक भी इतिहास से कुछ सीखने का प्रयास नहीं किया हैै,जिस तरह स्वतंत्रता के समय “जय भीम जय मीम,,का नारा देकर योगेन्द्र नाथ मंडल ने देश को बाटने में योगदान किया था, आज भी कुछ राष्ट्रविरोधी शक्तियां अपने निजी स्वार्थों की पूर्ति हेतु हिन्दू समाज को जातिवाद क्षेत्रवाद भाषावाद व परिवारवाद में बांट कर भारत को एक बार पुनः विखण्डित करने की फिराक में है।

जिससे सम्पूर्ण हिन्दू समाज के साथ साथ सभी राष्ट्रवादी नागरिकों को गहरायी से सोंचना चाहिये तथा भारत में रहकर भारत का खाकर भारत को बदनाम करने वालों को, भारत को कमजोर करने वालों का बहिष्कार करना चाहिये, तथा एकजुट रहना चाहिये, जिस तरह की एकजुटता मुस्लिम राष्ट्रों ने अपने इस्लामिक देवदूत के प्रति प्रदर्शित की हैै उसी तरह की एकजुटता विश्वभर में फैले हिन्दू समाज को भी अपने धार्मिक रीति रिवाज और आराध्य देवी देवताओं के प्रति प्रदर्शित करनी चाहिये,तथा भारत सरकार को भी दृढ़ निश्चय करना चाहिये कि भारत सहित विश्व भर में कहीं भी हिन्दू आस्था के प्रतीक देवी देवताओं पर किसी भी तरह की निंदा व आपत्तिजनक क्रिया प्रितिक्रिया पाये जाने पर वह कठोर कार्यवाही करेगी।

लेखक : विद्यासागर त्रिपाठी, वरिष्ठ भाजपा नेता, कानपुर देहात उप्र.