डुमरांव : गुदड़ी का लाल नीतीकेश बना ने कस्टम इंस्पेक्टर

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नीतीकेश ने अपनी कामयाबी के पीछे मां-पिता के आलावे तीन दोस्तों की भूमिका बताया

बक्सर,बीपी। सच्च कहा गया है।होनहार वीरवन के चिकने होत पात। इस कहावत को डुमरांव नगर के निमेज टोला निवासी लव कुमार बारी व माता पूर्व वार्ड पार्षद सीमा देवी के बेटे नीतीकेश कुमार ने सीजीएल की परीक्षा-23 में बाजी मार कर चरितार्थ किया है। केन्द्रीय चयन परिषद,नई दिल्ली द्वारा देश स्तरीय आयोजित सीजीएल-23 की परीक्षा में शुक्रवार की रात नीतीकेश के एसएल-1791 रैंक से परीक्षा पास होने की खबर मिलते ही उनके घर परिवार सहित सगे संबधियों के बीच हर्ष का आलम कायम है।

जीवन वृत-नीतीकेश अपने मां पिता के पांच संतान में चार बहनों में श्वेता, अर्चना, भूमिका रावत एवं वैष्णवी रावत के बीच सबसे बड़ा बेटा है। उसने मैट्रिक की परीक्षा स्थानीय राज हाई स्कूल से प्रथम श्रेणी से पास किया था। बाद में पीसी कालेज बक्सर से इंटर प्रथम श्रेणी व स्नातक विज्ञान की परीक्षा वर्ष 2015 में प्रथम श्रेणी से पास किया। स्नातक की परीक्षा पास करने के बाद नीतीकेश ने केन्द्रीय उत्पाद निरीक्षक बनने का सपना पाल लिया था।

इसी वजह से केन्द्रीय चयन परिषद, नई दिल्ली द्वारा 2021 में एमटीएस की आयोजित प्रतियोगिता परीक्षा एवं एसएससी नई दिल्ली द्वारा इंटर स्तर पर आयोजित सीजीएल प्रतियोगिता परीक्षा में उर्तीण होने के बाद आईबी में नौकरी ज्वायन नहीं किया।सफलता से हर्षित नीतीकेश बताते है कि उसने स्नातक स्तर पर एसएससी द्वारा आयोजित प्रतियोगिता परीक्षा-21 मे भी उर्तीण हो गया। इस प्रतियोगिता परीक्षा में सफल होने के बाद उसने अगस्त 2021 मे केन्द्रीय रक्षा मंत्रालय के आसाम स्थित भीस कैंप मे रक्षा अधिकारी के पद पर ज्वायन कर लिया।

आगे उन्होनें बताया कि इसी बीच सीजीएल की परीक्षा बेहतर अंक से पास होने का रिजल्ट शुक्रवार 17 मार्च को उन्हें मिलते ही वे खुशी से झूम उठे। जीवन की कामयाबी में तीन दोस्त की भूमिका अहम-यूं तो प्रायः बेटा व बेटी के कामयाबी के पीछे मां-पिता व भाई-बहन की श्रेय पाया जाता है। पर नीतीकेश के जीवन की कामयाबी में पढ़ाई लिखाई से लेकर बहन की शादी तक में तीन दोस्तों की भूमिका अहम है।

बकौल नीतीकेश दोस्तों में कौशलेश कुमार जायसवाल, विक्कू कुमार शर्मा एवं प्रकाश कुमार द्वारा प्रदत आर्थिक सहयोग के आलावे मध्य विद्यालय के अंग्रेजी शिक्षक संतोष कुमार की प्रेरणा ने उन्हे कामयाबी तक ले गई। साथ ही छाया की तरह खड़ा रहने वाली मां व पिता का आर्शिवाद उन्हे आत्मबल पैदा करता रहा है।