मुजफ्फरपुर/बिफोरप्रिंट : राज्यपाल सह कुलाधिपति द्वारा 4 वर्षीय डिग्री कोर्स के फीस व पाठ्यक्रम पर अंतिम मुहर लगने के निर्णय पर प्रेस बयान जारी करते हुए एआईडीएसओ के बिहार राज्य सचिव विजय कुमार ने कहा है कि 4 वर्षीय डिग्री कोर्स के संबंध में राजभवन की ओर से जो पत्र जारी किया गया है उसमें पाठ्यक्रम सीबीसीएस एवं सेमेस्टर प्रणाली के आधार पर होंगे। एक तरफ सेमेस्टर प्रणाली में 1 वर्ष में एक बार की जगह 2 बार परीक्षा एवं प्रवेश शुल्क लेने से बेतहाशा फीस वृद्धि होगी। नतीजतन कॉलेजों में जहां ₹7000 से लेकर अधिकतम ₹10000 तक 3 साल के स्नातक की पढ़ाई पूरी हो जाती थी।
वहां अब ₹21690 लगेंगे। यह फीस वृद्धि मध्यम वर्गीय व गरीब छात्रों को उच्च शिक्षा से बाहर कर देगा। वहीं दूसरी तरफ विकल्प आधारित क्रेडिट प्रणाली (सीबीसीएस) व मल्टीडिसीप्लिनरी के माध्यम से पहले से परीक्षित वैज्ञानिक अंतरविषय प्रणाली को खत्म कर अवैज्ञानिक व विस्तृत और सामाग्रिक ज्ञान के लिए बाधक बहुविषयक प्रणाली लाई जा रही है। इस 4 वर्षीय डिग्री कोर्स में मल्टीपल एंट्री एवं मल्टीपल एंट्री की व्यवस्था के बीच में पढ़ाई छोड़ने वालों को कानूनी वैधता देगी। जिससे शिक्षा ज्ञान केंद्रित न होकर डिग्री बांटने की व्यवस्था में तब्दील हो जाएगी। जहां जिनके पास पैसे होंगे मनचाहा डिग्री खरीद सकते हैं।
बयान में कहा गया है कि ऐसा देखा जा रहा है कि राज्य के अधिकतर विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक सत्र काफी विलंब से चल रहें हैं। ऐसे में यह चार वर्षीय डिग्री कोर्स राज्य की उच्च शिक्षा को पुरी तरह चौपट कर देगा। उन्होंने आगे कहा कि राज्य सरकार एक तरफ केंद्र सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ संघर्ष की बात करती है जबकि केंद्र सरकार द्वारा लाई गई विनाशकारी नई शिक्षा नीति 2020 के प्रावधानों के अनुरूप 4 वर्षीय डिग्री कोर्स को राज्य में तेजी के साथ लागू किया जा रहा है जो राज्य सरकार के दोहरे चरित्र को दर्शाता है।
उन्होंने राज्य सरकार से अविलंब हस्तक्षेप कर इस शिक्षा व छात्र विरोधी चार वर्षीय डिग्री कोर्स पर रोक लगाने एवं राज्य भर के कॉलेज- विश्वविद्यालयों में व्याप्त शैक्षणिक अराजकता को दूर करते हुए सत्र नियमित करने की मांग की है। साथ ही शिक्षाप्रेमी लोगों खासकर छात्र समुदाय से एकजुट होने एवं विनाशकारी शिक्षा नीति के खिलाफ आंदोलन तेज करने का आह्वान किया है।