Muzaffarpur/Brahmanand Thakur : डा शिवदास पाण्डेय का व्यक्तित्व सहज स्नेह और तरल सदाशयता से भरा था। उनकी सामाजिक चेतना जागरूक और बहुआयामी थी। हर आदमी के अंतर्मन की आवाज बनकर निरंतर सृजन करते रहे। प्रेम तत्व उनकी रचनाओं का केंद्रीय भाव है। डा शिवदास पाण्डेय ने प्रेम को केवल परिभाषित नहीं किया बल्कि उसे अपने गीतों के माध्यम से शाश्वत जीवंतता भी प्रदान की। उक्त बातें शिवदास पाण्डेय की जन्म जयंती कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए साहित्यकार डा महेंद्र मधुकर ने कहीं।विषय प्रवेश और संचालन करते हुए डा संजय पंकज ने कहा कि शिवदास पाण्डेय का व्यक्तित्व और कृतित्व बहुआयामी था।
उनके सानिध्य का अवसर बार बार मिला। वे सांस्कृतिक वैभव के रचनाकार थे। उनसे बहुत कुछ सीखा। वरिष्ठ राजयोगिनी बीके रानी दीदी ने कहा कि सुख शांति भवन के निर्माण में शिवदास पांडेय जी का बड़ा योगदान है। वे साधक थे। डा पूनम सिन्हा ने शिवदास पाण्डेय की व्यंग्य कविताओं पर विस्तार से चर्चा की और कहा कि उनकी व्यंग्य कविताओं में
जीवन यथार्थ के कई आयाम है। डॉ विजय शंकर मिश्र ने शिवदास पांडे जी के उपन्यास पर बोलते हुए कहा कि उनके उपन्यासों में आज का समय मुखरित है।
डा अरुण कुमार सिंह ने कहा कि मेरे लिए पिता समान थे। बजरंग प्रसाद सिंह संस्मरण के माध्यम से कहा कि मैं नेतरहाट में उनका छात्र था और उनसे बहुत प्रभावित था। सुरेश गुप्ता ने कहा कि उनकी स्मृति मुझे भावुक कर रही है। वे हमेशा पर्यावरण की सजगता की बात करते थे। कार्य क्रम में चितरंजन सिन्हा कनक, उदय नारायण सिंह, प्रमोद कुमार मिश्र ,मुजफ्फरपुर की उपमहापौर डा मोनालिसा , गोपाल भारतीय एवं अन्य वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए।
अतिथियों का स्वागत शिवदास पाण्डेय की पुत्री डा वंदना विजय लक्ष्मी ने किया। सिद्धिशंकर मिश्र ,हिमाचल और शिवदास पाण्डेय के नाती विवेक ने संयुक्त रूप से उनके गीतों की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में डा अविनाश कुमार,मिलन कुमार,देवेंद्र कुमार,,गणेश प्रसाद ,बीके डा फणीश,बीके सीता बहन उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन डॉ रमेश ऋतंभर ने किया।