तुलसी जयंती : कागज के पन्ने को तुलसी, तुलसीदल जैसा बना गया : चंद्रभूषण सिंह चंद्र

मुजफ्फरपुर

मुजफ्फरपुर, ब्रह्मानन्द। गोस्वामी तुलसीदास भारतीय संस्कृति व जनमानस के महाकवि हैं। उन्होंने रामचरितमानस के रूप में ऐसा साहित्य रचा जो भारतीय जनमानस का सबसे पवित्र व अलौकिक ग्रंथ बन गया। सच में,कागज के पन्नों को तुलसी ने तुलसी दल जैसा बना दिया।

उनका रचना संसार भारतीय जनमानस में आर्दश व संस्कृति के मूल्यों के रूप में बसा हुआ है। ये बातें नूतन साहित्य परिषद, कांटी के अध्यक्ष चंद्रभूषण सिंह चंद्र ने कहीं।वे आज साहित्य भवन कांटी में आयोजित तुलसी जयंती समारोह में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा , तुलसी ने लोक मंगल की कामना को सिद्ध करते हुए श्री राम के आदर्श रूप की संकल्पना को समाज में स्थापित किया। तुलसी की विलक्षण प्रतिभा इस बात में हैं कि उन्होंने भक्त और रचनाकार की भूमिकाओं का एक साथ निर्वहन किया है।

उन्होंने कहा कि तुलसी दास शक्ति और शील के सर्वश्रेष्ठ निरुपक हैं। उनका रामचरितमानस न सिर्फ हिंदी का बल्कि सम्पूर्ण भारतीय साहित्य का सर्वाधिक , सुनियोजित प्रबंध-काव्य है। पाठकों को इसके माध्यम से तुलसी की अद्भुत समन्वय भावना के दर्शन होते हैं।

उन्होंने रामचरितमानस में लोक और शास्त्र ,गार्हस्थ और वैराग्य , प्रवृति और निवृति ,सगुण और निर्गुण , भक्ति और ज्ञान ,पुराण और काव्य , भाषा और संस्कृति का अद्भभुत समन्वय किया है। सम्पूर्ण विश्व साहित्य में इतना विशाल ,विराट और भव्य शक्ति,शील और सौन्दर्य से पूर्ण चरइत-नआयक का निर्माण अबतक नहीं हुआ।

वे एक ओर हृदय में पावन भावों का संचार करते हैं तो दूसरी ओर जीवन की अनेक समस्याओं का समाधान भी करते है। तुलसी की भक्ति भावना पर चंद्र ने कहा कि तुलसी की भक्ति आडम्बर से रहित हैं। उसमें विविध विधि-विधानों की आवश्यकता ही नहीं है।

कविवर तुलसी ने राम के आदर्श चरित्र में जीवन की सभी दिशाओं और समाज के सभी क्षेत्रों में जिन आदर्शों की स्थापना की है, उनके आधार पर एक आदर्श समाज की रचना हो सकती है। राम के जीवन में उन्होंने पिता-पुत्र, भाई-भाई, गुरु-शिष्य, पति-पत्नी, राजा-प्रजा आदि सभी सम्बन्धों का आदर्श उपस्थित कर सभी के कर्तव्यों का निर्देश किया हैं।

स्वराजलाल ठाकुर ने कहा कि अस्थि चर्ममय देह सों मो सों ऐसी प्रीति,जो कुछ होती राम में, तौ न होती भवभीत। इस एक मात्र पंक्ति से तुलसी के मन मस्तिष्क के कपाट खुल गए। रामचरितमानस को जीवन में उतारने की जरूरत है।

सेवानिवृत शिक्षक रामेश्वर महतो ने तुलसीदास की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि तुलसी मानव मूल्यों के उपासक थे।पत्रकार राकेश कुमार राय ने कहा कि गोस्वामी तुलसी की रचनाएं हर उम्र, हर वर्ग और हर परिस्थिति में लोगों को अपना जीवन जीने की एक बेहतर प्रेरणा देती है।

कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने तुलसीदास की तस्वीर पर माल्यार्पण कर नमन किया। धन्यवाद ज्ञापन पिनाकी झा ने किया। समारोह में नंदकिशोर ठाकुर,वसंत शांडिल्य, महेश कुमार ने भी अपने विचार रखे