सब्सिडी देने में की आनाकानी तो पशुपालकों ने छोड़ा बकरी पालन

नवादा
  • 283000 से 238000 हो गई बकरियों की संख्या, तीन साल से नहीं मिला अनुदान

नवादा (रवीन्द्र नाथ भैया) जिले के लोगों की गरीबी दूर करने के लिए बकरी पालन को बढ़ावा देने को सरकार ने पशुपालकों को सब्सिडी देना शुरू किया था। सब्सिडी मिलनी शुरू हुई तो बकरी पालकों की संख्या बढ़ी, लेकिन अब यह लगातार कम हो रही है। पिछले 3 वित्तीय वर्षों में न तो किसी बकरी पालक को अनुदान मिला और न ही कोई प्रोत्साहन योजना का लाभ मिला है। वित्तीय वर्ष 2019- 20 में पशुपालकों को इसका लाभ मिला था, लेकिन 2020 – 21 में सिर्फ चार को अनुदान मिला। इसके बाद से तो मिलना ही बंद हो गया। बीते 3 वित्तीय वर्षों से योजना ठंडे बस्ते में है। इसका नतीजा हुआ कि बकरी पालन बुरी तरह प्रभावित हुआ।

3 साल पहले जिले में बकरियों की संख्या 2 लाख 24 हजार 234 थी वहीं अब बकरियों की संख्या 2 लाख 38 हजार रह गई है। यानी कि इन 3 सालों में 50000 बकरियां कम हो गई है। जाहिर सी बात है सैकड़ों मवेशी पालकों ने बकरी पालना छोड़ दिया है। कई ऐसे बकरी फार्म जो अनुदान से खुले थे वह भी बंद हो गए। कई लोगों का तो रोजगार छीना ही साथ ही मांस की बिक्री पर भी इसका असर होगा। जिले में मांस के लिए बकरी की आपूर्ति पर्याप्त नहीं होने के चलते बाहर से बकरे मंगाया जा रहे हैं। होली दशहरा बकरी जैसे अवसरों पर बकरी का मांस भी महंगा होना तय है।

बकरी पालन के लिए जरूरी है सही जानकारी:-
बकरियों की नस्ल व आयु के अनुसार अलग-अलग शेड और चारे का ध्यान रखना जरूरी है। गोट फार्म में अनाज भंडार, चारा, डिपिंग टैंक व चारा उत्पादन के लिए स्थान भी निर्धारित करना जरूरी है। अगर आप बकरी पालन कर रहे हैं तो आपके फार्म पर बकरी उन्नत नस्ल की होनी चाहिए। जिले में इक्का-दुक्का बकरी फार्म ही चल रहे हैं। इन फर्मों के पास बरबरी, मेवाती आदि नस्ल की बकरियां हैं। इन सभी बकरियों को रोगों से बचाने के लिए पी.पी.आर, एफएमडी, ई.टी, एच.एस वैक्सीनीकरण कराया गया है।

नियम के झोल से आ रही कमी:-
पशु पालकों ने बताया कि बकरी पालन को लेकर कई तरह की परेशानियां है। प्रशिक्षण से लेकर अन्य तरह की दिक्कत है। नाबार्ड से वित पोषित योजनाओं के जरिए लोन मिलता है, लेकिन इसमें भी कई दिक्कतें है। दरअसल बकरी पालन के क्षेत्र में सबसे ज्यादा अनुसूचित जाति के लोग रूचि लेते हैं, लेकिन विभागीय नियम कानून बाधा बन रही है। जमीन का अभाव और लोन लेने में आने वाली समस्याओं के कारण लोग रुचि नहीं ले पाते हैं। उन्होंने कहा कि अगर नियमों में सुधार किया जाए तो काफी लोग इस योजना से लाभान्वित होंगे।

पशुपालकों का बकरी पालन के प्रति रुझान कम हुआ:-
स्वरोजगार के दृष्टिकोण से बकरी पालन एक अच्छा साधन है। अभी जिले में 2 लाख 38 हजार बकरियां है। बकरियों की संख्या में कमी आई है। इसका कारण है कि पशुपालकों का बकरी पालन के प्रति रुझान कम हुआ है। हालांकि इसे बढ़ावा देने का प्रयास हो रहा है। पशुपालकों को हर संभव जानकारी, प्रशिक्षण व चिकित्सा व्यवस्था के इंतजाम किए गए हैं। जहां तक अनुदान की बात है तो पिछले 3 सालों से अनुदान नहीं मिल पाया है। जैसे ही विभागीय निर्देश मिलेंगे पशुपालकों को बकरी पालन से संबंधित योजनाओं का लाभ दिलाने का हर संभव प्रयास किया जाएगा।
डॉ श्याम किशोर , जिला पशुपालन पदाधिकारी नवादा