विक्रांत। बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर में आगामी रबी फसल के लिए 27वीं प्रसार शिक्षा परिषद की बैठक का आयोजन आज सफलता पूर्वक किया गया | इस बैठक में बिहार कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत कार्यरत 25 कृषि विज्ञान केन्द्रों और सभी महाविद्यालयों द्वारा चलायी जा रही योजनायों और कार्यक्रमों का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया साथ ही तकनीकी सत्र में आगामी रबी फसल के लिए कार्य योजना की प्रस्तुति दी गयी |
इस बैठक में सभी महाविद्यालयों के प्राचार्य, कृषि विज्ञान केन्द्रों के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान साथ ही सम्बंधित परियोजना के विषय वस्तु विशेषज्ञों ने भाग लिया साथ ही राज्य भर से आये हुए प्रगतिशील किसानों ने भी अपना अनुभव साझा किया |
कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति डॉ. डी० आर० सिंह ने किया साथ ही मुख्य अतिथि के तौर पर डॉ. के० डी० कोकाटे, पूर्व डीडीजी, कृषि प्रसार, भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद एवं डॉ वी० वी० सदामते, प्रख्यात विशेषज्ञ कृषि प्रसार एवं पूर्व सलाहकार कृषि योजना आयोग, भारत सरकार ने भी अपना बहुमूल्य अनुभव साझा किया |
कार्यक्रम में अटारी पटना के निदेशक डॉ. अंजनी कुमार सिंह एवं राज्य के कई जिले के प्रगतिशील किसान शामिल हुए जिनमें श्री आनंद मुरारी पटना, श्री बिनीता कुमार नालंदा, श्रीमति बंदना कुमारी बांका, श्री प्रभात कुमार एवं अनिल वर्मा ने कार्यक्रम में शिरकत किया |
कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों के स्वागत और द्वीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ |
स्वागत भाषण और बीएयू में प्रसार गतिविधियों की रुपरेखा का प्रस्तुतिकरण प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. आर. के. सोहाने ने दिया | अपने अध्यक्षीय भाषण में बोलते हुए माननीय कुलपति डॉ डी० आर० सिंह ने कहा कि बाज़ार की मांग के अनुरूप हमें शोध और प्रशिक्षण करने की जरुरत है | उन्होंने कहा कि क्लाइमेट चेंज के अनुसार केवीके को क्रोपिंग पैटर्न बदलने की जरुरत है |
माननीय कुलपति ने निर्देश दिया कि विश्वविद्यालय के अधिकारी जल्द ही एक जिले को गोद लेकर मॉडल जिले के रूप में पुरे जिले के हर गांव को विकसित करें | उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय जल्द ही कचरा प्रबंधन पर कार्य करेगा और माननीय प्रधान मंत्री के “वेस्ट टू वेल्थ” मन्त्र को साकार करेगा |
माननीय कुलपति ने कहा कि बीएयू सबौर एक ऐसा विश्वविद्यालय बन गया है जो यूनाइटेड नेशन के सोलहों सतत विकास लक्ष्य (SDG Goals) पर कर कर रहा है | माननीय कुलपति ने डायरेक्टर अटारी से अनुरोध किया कि कृषि अनुशंधान परिषद की ओर से जल्द से जल्द कृषि विज्ञान केन्द्रों में व्याप्त जो भी समस्याएं हैं उसे निराकरण करें |
आईसीएआर नयी दिल्ली के पूर्व डीडीजी, कृषि प्रसार, डॉ. के० डी० कोकाटे ने प्रसार शिक्षा के महत्व से सदन को अवगत कराया साथ ही उन्होंने कृषि प्रसार शिक्षा के इतिहास और विज़न के ऊपर एक प्रस्तुतीकरण दिया | उन्होंने कहा कि देश में लगभग सात लाख गांव हैं और जब तक गांव आत्मनिर्भर नहीं हो जाते तब तक देश आत्मनिर्भर नहीं हो सकता |
प्रख्यात कृषि प्रसार विशेषज्ञ एवं पूर्व सलाहकार कृषि योजना आयोग, भारत सरकार डॉ वी० वी० सदामते ने कृषि प्रसार की अहमियत के बारे में कहा कि अगर कृषि में प्रसार ठीक नहीं है तो कृषि भी ठीक नहीं हो सकता | उन्होंने बिहार कृषि विश्वविद्यालय के प्रसार मॉडल की सराहना करते हुए कहा कि यह एक प्रसार का बेहतरीन मॉडल है इसे अंतर्राष्ट्रीय फोरम में प्रस्तुत किया जाना चाहिए |
उन्हेंने कहा कि हालाँकि कृषि प्रसार एक जटिल प्रक्रिया है लेकिन एक बेहतरीन मॉडल अपना कर सफलता पूर्वक किसानों तक कृषि प्रसार किया जा सकता है | विश्वविद्यालय के निदेशक शोध डॉ. ए० के० सिंह ने विश्वविद्यालय द्वारा चलायी जा रही शोध परियोजनाओं से सदन को अवगत कराया | उद्घाटन सत्र के उपरांत एक-एक कर सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों और महाविद्यालयों ने अपना प्रस्तुतीकरण दिया |
कृषि विज्ञान केन्द्रों को किया गया सम्मानित :
उत्कृष्ट कार्यों के लिए कृषि विज्ञान केन्द्रों को सम्मानित किया गया जिसमें कृषि विज्ञान केंद्र सबौर को इस वित्तीय वर्ष में चक्रीय खाते में एक करोड़ रूपये अर्जित करने के लिए वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ राजेश कुमार को सम्मानित किया गया साथ ही कृषि विज्ञान केंद्र सबौर को एक अन्य उपलब्धि जो कि किसान सारथी पोर्टल पर किसानो के सर्वाधिक साढ़े चार लाख पंजीकरण के लिए सम्मानित किया गया |
अन्य कृषि विज्ञान केन्द्रों में केवीके पटना को एक करोड़ की राशि अर्जित करने एवं बांका एवं पटना को किसान सारथी पोर्टल पर एक से दो लाख तक पंजीकरण के लिए सम्मानित किया गया |
पुस्तकों का विमोचन
बीएयू से प्रशिक्षण लेने वाले किसानों की सफलता की कहनियों के संकलन पर एक पुस्तक का विमोचन किया गया साथ ही मधुमक्खी पालन एवं कृषि विज्ञान केन्द्रों से कृषक सन्देश और कृषिक समाचार का भी विमोचन किया गया |