अडाणी प्रकरण: LIC का नया व्यवसाय 17% गिर गया तो दूसरी ओर उसका प्रीमियम का कलेक्शन 32% कम हुआ!

पटना

सेंट्रल डेस्क : अब यह स्पष्ट हो गया है कि गौतम अडाणी को विश्व में सबसे बड़ा धनवान बनाने के चक्कर में, LIC जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की पूंजी को दांव पर लगा दिया गया, उसके नतीजे भी तेजी से सामने आने लगे हैं. सत्ता की नकारात्मक बातें बाहर आने से रोकने की चाकचौबंद व्यवस्था के बाद भी, कुछ खबरें ऐसे ही निकल आती हैं जैसे अंजुरी का पानी लाख जोर लगाने पर भी रिस जाता है.

बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के अनुसार LIC को फरवरी माह में दोहरी मार पड़ी है, जिसमें एक तरफ उसका नया व्यवसाय 17% गिर गया तो दूसरी ओर उसका प्रीमियम का कलेक्शन 32% कम हुआ. अपने चेहरे पर लगी कालिख धोने के बजाय, शीशा ही तोड़ देने के सत्ताधारी पार्टी और उसके नीति निर्धारक RSS द्वारा हिंडेनबर्ग पर जवाबी हमला करने से, वे जनता का विश्वास अर्जित करने में सफल नहीं हुए.

गौतम अडाणी को LIC का रुपया सौंपकर, सत्ता के मद में चूर देश के शिखर पुरुषों ने, देश के करोड़ों लोगों के भविष्य, बीमे की सुरक्षा और भरोसे की हत्या कर दी! जिससे लोगों ने LIC की नई पॉलिसी लेना और प्रीमियम देना बंद कर दिया है. नतीजतन जीवन बीमा कंपनियों का नया बिजनेस प्रीमियम फरवरी में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 17 प्रतिशत कम हुआ है.

इस अवधि के दौरान सरकारी कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम का प्रीमियम संग्रह 32 प्रतिशत घट गया है.लाइफ इंश्योरेंस काउंसिल की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, फरवरी में उद्योग का एक साल के दौरान नई पॉलिसियों से प्राप्त होने वाला प्रीमियम यानी न्यू बिजनेस प्रीमियम (NBP) 22,847.65 करोड़ रुपये रहा है, जिसमें पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 17 प्रतिशत गिरावट आई है.

इस तरह LIC को ग्रुप सिंगल प्रीमियम में मात खानी पड़ी है. फरवरी में इसमें 40 % की कमी आई है, जिसकी वजह से उसका NBP नीचे चला गया है.यह गिरावट तब और भी अधिक महत्वपूर्ण है जबकि सामान्यतया वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही जीवन बीमा कंपनियों के लिए सबसे व्यस्त होती है, क्योंकि इस समयावधि में ग्राहक अपनी कर देनदारी घटाने के लिए बचत और सावधि पॉलिसियां खरीदते हैं.

आंकड़ों से पता चलता है कि LIC ने ग्रुप सिंगल प्रीमियम से फरवरी 2023 में 7,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं , जबकि एक साल पहले की समान अवधि में 12,062 करोड़ रुपये आए थे. इस अवधि में LIC द्वारा बेची गई ग्रुप पॉलिसीज की संख्या, पिछले साल की समान अवधि के 32 प्रतिशत से गिरकर 19 प्रतिशत रह गई है.