DESK : बिहार में जब तीन दशक तक राजनीतिक वर्चस्व के लिए एक दूसरे के कट्टर दुश्मन रहे आनंद मोहन और पप्पू यादव एक दूसरे से गले मिले। दरअसल पप्पू यादव आनंद मोहन की बेटी की सगाई समारोह में हिस्सा लेने पहुंचे थे। आनंद मोहन ने पप्पू यादव को गले लगाकर गर्मजोशी से उनका स्वागत किया तो पप्पू यादव ने भी उन्हें बेटी की सगाई की शुभकामनाएं दी।
पूर्व सांसद और राजपूतों के बड़े नेता रहे आनंद मोहन की बेटी की सगाई के समारोह में पप्पू यादव से गले मिले आनंद मोहन। कभी दोनों की बंदूक वाली राजनीतिक लड़ाई से हिलता था बिहार। ये दोनों एक दूसरे से लड़ते हुए सियासी तौर पर बड़े बने। एक फॉरवर्ड यानी अगड़ों का तो दूसरा बैकवार्ड यानी पिछड़ों का नेता बना।
इसके बाद आनंद मोहन पप्पू यादव को स्टेज तक लेकर गए जहां उनके होने वाले दामाद ने पप्पू यादव के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया। इस दौरान आनंद मोहन की पत्नी और पूर्व सांसद लवली आनंद का भी पप्पू यादव ने अभिवादन किया। इस बीच लवली आनंद ने पप्पू यादव से चुटकी लेते हुए कहा कि सालियां इधर भी हैं नेताजी। इसके बाद सब लोग ठहाके लगाकर हंस पड़े।
गौरतलब है कि 1990 के दशक में आनंद मोहन और पप्पू यादव की दुश्मनी पूरे सीमांचल और कोसी के मशहूर थी। दोनों नेता यहां के सात जिलों समेत पूरे बिहार में पैर जमाने की कोशिश कर रहे थे। उस दौर में दोनों एक दूसरे के जानी दुश्मन बन गए। दोनों के बीच कई बार गोलीबारी भी हुई। आनंद मोहन की स्वर्ण जातियों के बीच लोकप्रियता बढ़ी तो वहीं पप्पू यादव का पिछड़ों में प्रभाव बढ़ा। दोनों नेता जब अपने-अपने काफिले को लेकर निकलते तो चर्चा होती कि किसका काफिला ज्यादा लंबा था।
एक दूसरे की जान लेने की भी कई बार कोशिश की :
दोनों ने एक दूसरे की जान लेने की भी कई बार कोशिश की। दोनों की दुश्मनी उस जमाने की सबसे बड़ी और तगड़ी लड़ाई थी। जिसमें राजनीति और बंदूक दोनों साथ चल रहे थे। वाकया 1990 के दशक का है। सीमांचल और कोसी के सात जिलों समेत पूरे बिहार में दोनों नेता सियासी पैर जमाने में जुटे हुए थे। दोनों नेता अगड़े और पिछड़े के मसीहा बनने की कोशिश में जुटे रहे। एक समय में दोनों के बीच इनकाउंटर भी खूब चर्चा में रही।
उस दौर में नौजवानों के बीच आनंद मोहन और पप्पू यादव का बहुत क्रेज था। आनंद मोहन की सवर्ण जातियों में पूछ बढ़ रही थी तो पप्पू यादव पिछड़ों और खासकर यादवों के बीच पॉपुलर हो रहे थे। दोनों ने रॉबिनहुड की छवि बनाई। दोनों नेताओं का काफिला कितना लंबा है, चर्चा उस समय इस बात की भी होती थी।