PATNA : उपेंद्र कुशवाहा बनाएंगे नई पार्टी, नाम होगा राष्ट्रीय लोक जनता दल

पटना

SHIVANAND GIRI : उपेंद्र कुशवाहा ने सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू से नाता तोड़ लिया है। समर्थकों के साथ दो दिनों की बैठक के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने नई पार्टी बनाने का ऐलान किया है। बिहार की राजनीति में उथल पुथल मचाने वाले अब जदयू को बाय कर दिया हैं। अब जदयू छोर, नई पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल के गठन की घोषणा की। समर्थकों के साथ दो दिनों की बैठक के बाद उपेंद्र कुशवाहा की ओर से नई पार्टी बनाने का विधेयक पास किया गया। इसके बाद उपेंद्र कुशवाहा ने पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बात की जानकारी दी। जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने भी पुष्टि कर दी है कि उपेंद्र कुशवाहा का जेडीयू से कोई नाता नहीं है।

उपेंद्र कुशवाहा ने आरोप लगाया कि जिन उद्देश्यों को लेकर वह जेडीयू में आए थे वह पूरा नहीं हो पाया। जेडीयू के बागी उपेंद्र कुशवाहा ने सीएम नीतीश कुमार पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा है कि जेडीयू में जो भी लोग घुटन महशूस कर रहे हैं उनका नई पार्टी में स्वागत है। पटना में पत्रकारों से बातचीत में आज से नई राजनीतिक पारी की शुरुआत हो रही है। जेडीयू के तमाम साथी, बड़े नेता हों या साधारण कार्यकर्ता, दो चार अपवादों को छोड़कर सारे साथी चिंता व्यक्त कर रहे थे। हम लगातार परेशानी बता रहे थे। एक क्रॉस कास्ट लाइन सबने चिंता व्यक्त किया। हमने अपने साथी लोगों से विमर्श किया जिसमें तय हुआ कि पार्टी के वैसे साथियों को बुलाया जाए जो चिंतित हैं।

दो दिनों के विमर्श के बाद निर्णय लिया गया है। लगभग दो साल पहले हम जेडीयू में आए। तब एक विशेष परिस्थिति राज्य में थी। नीतीश कुमार के ऊपर जिस विरासत को संभालने की जिम्मेवारी बिहार की जनता ने 2005 में मुकम्मल तौर पर दी, उसके पहले कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद जननायक की वह विरासत लालू यादव को दी थी। लालू यादव को समर्थन मिला, जनता ने उन्हें अकूत ताकत भी दी। उन्होंने कहा कि सत्ता में आने के बाद कुछ दिनों तक लालू यादव ने जनता की भावनाओं का ख्याल रखा, लेकिन कुछ दिनों बाद ही उनमें भटकाव आ गया। उस मिले जनसमर्थन का इस्तेमाल जनता के लिए हो सकता था।

दूसरा समाज की अंतिम पंक्ति में खड़ा व्यक्ति को समाज की मुख्य धारा में जोड़कर किया जा सकता था। ताकि कर्पूरी ठाकुर की विरासत को आगे ले जा सकता था। लेकिन भटकाव के बाद लालू जी ने उस जन समर्थन का प्रयोग कर अपने परिवार के लिए करना शुरू कर दिया। जिसका खामियाजा वह आज तक भुगत रहे हैं। इसके बाद बिहार की जनता ने नीतीश कुमार पर भरोसा किया। 1994 में समता पार्टी बनी, जॉर्ज फर्नांडीस के आशीर्वाद से नीतीश कुमार उस पार्टी के मुखिया बने।

उसके बाद संघर्ष का दौर शुरू हुआ। उस वक्त जो बिहार में अराजकता थी उसके लिए नीतीश कुमार के नेतृत्व में संघर्घ चला। तब बिहार के लोगों ने नीतीश कुमार को ताकत दी। 2005 के बाद कर्पूरी ठाकुरी की वही विरासत नीतीश कुमार के पास आ गया, जिसे उन्होंने अच्छे से निभाया। नीतीश कुमार ने अच्छा काम किया। बिहार विकास की राह पर आया। लेकिन कहा जाता है कि अंत भला तो सब भला और अंत नहीं भला तो कुछ भी नहीं भला। नीतीश कुमार ने बहुत ही अच्छा काम किया, लेकिन अंत भला तो सब भला नहीं हुआ।