पटना: राष्ट्रीय समान अधिकार यात्रा समिति के संयोजक ई. रविन्द्र कुमार सिंह ने आज समिति के पटना स्थित प्रदेश कार्यालय से राष्ट्रीय समान अधिकार महारैली को सफल बनाने के लिए प्रचार गाड़ी को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस मौके पर समिति के रोहित सिंह रैकवार, विशाल सिंह, राजवीर सिंह, शैलेश सिंह, शिफाली भारद्वाज, विशाल प्रताप आदि लोग मौजूद रहे। इस दौरान ई. रविन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि यह प्रचार गाड़ी पटना जिले के हर गांव-कस्बों और गली-मुहल्लों में जाकर लोगों को आगामी 25 फरवरी को गांधी मैदान, पटना में होने वाली महारैली को सफल बनाने के लिए लोगों को जागरूक और आमंत्रित करेगी।
उन्होंने बताया कि, देश में समान शिक्षा, स्वास्थ्य, नागरिकता, कानून और किसानों के सवाल पर लोगों में जनजागृति पैदा करने को लेकर बिहार के सभी जिलों में राष्ट्रीय समान अधिकार यात्रा निकाली गई, जो गांधी जयंती के अवसर पर 2 अक्टूबर 2018 को चंपारण से शुरू हुई थी। इस यात्रा को राज्य भर में अपार जन समर्थन मिला, जिसके बाद अब 25 फरवरी को राजधानी पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में विशाल राष्ट्रीय समान अधिकार महारैली का आयोजन किया जा रहा है। इसके लिए तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। इसी क्रम में हमने आज इस प्रचार रथ को रवाना किया है, जो पटना के अलावा राज्य के विभिन्न जिलों में लोगों को 25 फरवरी को होने वाली महारैली में आने प्रेशर अपील करेगी।
उन्होंने कहा कि, आजादी के बाद 70-72 सालों में सर्वण समाज के साथ धोखा हुआ है। आज सवर्ण जाति के लोगों को मनुवादी, दलित विरोधी और सामंतवादी कहा जाता है, जो सरासर गलत है। सवर्णों ने हमेशा समाज को साथ लेकर चलना स्वीकार किया है। सर्व विदित है कि संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद थे, जो सवर्ण थे। और डॉ भीमराव अंबेदकर ड्राफटिंग कमेटी के चेयरमैन थे। उस वक्त राजेंद्र बाबू के हस्ताक्षर से ही एससी-एसटी आरक्षण बिल पास हुआ था। यह दर्शाता है कि सवर्णों ने ही सामाजिक बराबरी के लिए पिछड़े वर्ग को आरक्षण दिया।
उन्होंने कहा कि समाज को तोड़ने वाले लोग जिस मंडल कमीशन के 27 प्रतिशत आरक्षण की बात करते हैं। वह भी विश्वनाथ प्रताप सिंह के प्रधानमंत्रित्व काल में हुआ और उन्होंने ही एससी-एसटी एक्ट कानून को लाया। विश्वनाथ प्रताप सिंह भी सवर्ण ही थे। यहां ध्यान रखना होगा कि जब भी जरूरत पड़ी, सवर्णों ने सामाजिक न्याय को बिना किसी स्वार्थ के मजबूत करने का काम किया। आज एक बार फिर ये देश के सामने एकता और अखंडता को कायम रखने का संकट पैदा हो रहा है। ऐसे में सवर्णों को एक बार फिर से जिम्मेवार लेनी होगी। इसलिए बिहार के लोगों से अपील है कि वे 25 फरवरी की महारैली में शामिल होकर समाज की एकजुटता का परिचय दें।