Rajan Dwivedi: जन सुराज पदयात्रा के 154वें दिन की शुरुआत सिवान जिले के डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद स्टेडियम स्थित पदयात्रा शिवर में सर्वधर्म प्रार्थना से हुई। उसके बाद प्रशांत किशोर ने स्थानीय मीडिया से संवाद किया। 5 मार्च को जन सुराज अभियान का सीवान जिला अधिवेशन है। इस कार्यक्रम में पूरे जिले से जन सुराज अभियान से जुड़े हजारों लोग शामिल होंगे और जन सुराज की आगे की रणनीति पर महत्वपूर्ण निर्णय लेने।
अधिवेशन की पूर्व संध्या पर प्रशांत किशोर ने स्थानीय मीडिया के साथ संवाद किया। इस दौरान उन्होंने अपने पदयात्रा का अनुभव साझा किया। जन सुराज पदयात्रा पर निकले प्रशांत किशोर 2 अक्तूबर 2022 से लगातार पदयात्रा के माध्यम से बिहार के गांवों में दौरा कर रहे हैं। उनकी पदयात्रा अबतक 1600 किमी से अधिक की दूरी तय कर चुकी है। पश्चिम चंपारण से शुरू हुई पदयात्रा शिवहर, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज होते हुए सिवान पहुंची थी। जन सुराज पदयात्रा अगले कुछ दिनों में सारण जिले में प्रवेश कर जाएगी।
प्रशांत किशोर ने तमिलनाडु में बिहारियों पर हमले की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि कुछ लोग वीडियो को फेक बात रहे हैं। मैं उनकी जानकारी के लिए बात दूं कि कुछ पत्रकारों ने गलती की और उस घटना में 2-3 वीडियो किसी अन्य घटना की चला दी, जिसको संदर्भ बनाकर कुछ लोग उसको फेक बात रहे हैं। बिहार के उप मुख्यमंत्री ने भी विधानसभा मे कहा है की ये सब गलत वीडियो है, लेकिन मैं अभी दो दिन बाद सही वीडियो भी जारी करूंगा। जिसको को जो बोलना है वो उस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहा है और इस मामले को रफा-दफा करने की कोशिश कर रहे हैं।
इस घटना में सच्चाई है कि जो लोगों बिहार से वहां रोजगार के लिए गए हैं, उनके साथ मारपीट हुई है। तमिलनाडु के डीजीपी ने भी अपने बयान में सिर्फ दो वीडियो का खंडन किया है और उस घटना के 5 वीडियो उससे पहले आ गए हैं। पिछले 4 महीनों से ये घटना हो रही है। केंद्र सरकार ने वीडियो जारी किया है। बिहार के जो भी नेता इस मामले को गलत साबित करने मे लगे हुए हैं कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई है। मैं उनको बात दूँ की मैं भी 2 दिनों में वीडियो जारी करूंगा।
प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार एक ऐसे नेता थे जो 2014 में लोकसभा चुनाव नहीं हारे थे लेकिन फिर भी राजनीतिक नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। 2014 में नीतीश कुमार चुनाव नहीं हारे थे बल्कि उनकी पार्टी चुनाव हारी थी, क्योंकि उनके सांसदों की संख्या घटकर 2 हो गई थी और उन्होंने इस्तीफा देकर मांझी जी को मुख्यमंत्री बनाया था। आज वही नीतीश कुमार जो 2020 में चुनाव हार चुके हैं, क्योंकि विधानसभा में उनके पास सिर्फ 42 विधायक हैं, फिर भी कोई ना कोई जुगत लगाकर, उसी कुर्सी पर फेविकोल लगाकर बैठे हैं।