प्ले स्कूल के तर्ज पर बना मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र, बच्चों को मिल रही है गुणवत्तापूर्ण शिक्षा

छपरा न्यूज़

• बच्चों को खेलने के लिए बनाया गया आकर्षक पार्क
• नौनिहालों का होगा शारीरिक व मानसिक विकास

छपरा। यह सत्य है कि शिक्षा की बुनियाद सिर्फ संसाधनों की उपलब्धता से मजबूत नहीं होती है। लेकिन बात यदि बच्चों की शिक्षा की हो तो शिक्षण संस्थान में बाल सुलभ सुविधाओं की मौजूदगी बच्चों में आकर्षण पैदा करता है, जो बाद में उनकी शिक्षा की नींव तैयार करती है। आधुनिक स्कूलों के प्रति लोगों के बढ़ते रुझान ने आंगनबाड़ी केंद्र जैसे सरकारी इकाईयों के सामने चुनौतियाँ पेश की है। लेकिन आंगनबाड़ी केन्द्रों के आदर्श बनने की राह ने फिर से आंगनबाड़ी केन्द्रों की महत्ता एवं उपयोगिता को जीवंत किया है।

आंगनबाड़ी केंद्र पर पढ़ने वाले नौनिहालों का शारीरिक और मानसिक रूप से विकसित हों, इसके लिए केंद्रों को प्ले-स्कूल की तर्ज पर विकिसत किया गया है। मांझी प्रखंड के कौरू-धौरू पंचायत के गुर्दाहा खुर्द गांव में मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र का निर्माण कराया गया है। निजी प्ले-स्कूल की तर्ज पर यहां भी लाभार्थी परिवार के बच्चों को रोचक ढंग से खुशनुमा माहौल में शिक्षा उपलब्ध कराई जा रही है। भवन की दीवारों पर जहां सुंदर चित्र बनाये गये हैं, वहीं साथ ही केंद्रों में स्वच्छ पेयजल, शौचालय और बागवानी आदि की भी समुचित व्यवस्था की गयी है।

बच्चों को खेलने के लिए बनाया गया आकर्षक पार्क:
आईसीडीएस के डीपीओ कुमारी अनुपमा ने बताया इस मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र पर पढ़ने वाले बच्चों को खेलने के लिए आकर्षक पार्क का निर्माण किया गया है। करीब ढाई कठ्ठा जमीन पर इस पार्क का निर्माण किया गया। पार्क में बैठने व खेलने के लिए सभी आधुनिक सुविधाओं से लैस किया गया है। बैठने के लिए बेंच व खेलने के झूला लगाया गया है। साथ ही पार्क को फूल पौधों से सजाया गया है। इसके साथ हीं पार्क के चारों तरफ दिवारों को आकर्षक पेंटिंग भी की गयी है। जहां पर स्वच्छता का संदेश, कोरोना से बचाव का संदेश, पोषण के बारे में जानकारी व अन्य जनकल्याणकारी योजनाओं के बारे में वालपेंटिंग के माध्यम से बताया गया है।

गर्भवती महिलाओं के लिए बनाया गया जांच कॉर्नर:
राष्ट्रीय पोषण अभियान के जिला समन्वयक सिद्धार्थ कुमार ने बताया कि आंगनबाड़ी केद्रों पर प्रसव पूर्व जाँच के लिए आने वाली महिलाओं को भी अब बेहतर सुविधा मुहैया करायी जा रही है। सभी मॉडल आंगनबाड़ी केंद्रों पर पर्दायुक्त पंजीकरण कॉर्नर बनाया गया है। जिससे गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच में काफी सहुलियत हो रही है।

कलाकृतियों से नन्हे बच्चों को हो रहा अक्षर बोध:
आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका मेहरून निशा ने कहा इस मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र पर बच्चों को बुनियादी शिक्षा की व्यवस्था की गई है। इसके लिए नवीन आधुनिक पद्धतियों को अपनाकर बच्चों को सरलतम तरीके से शिक्षा देने की पहल की गयी है। बच्चों को उनकी स्थानीय बोली और भाषा में कविता, कहानी और गीतों के माध्यम से भी सिखाया जा रहा है। आंगनबाड़ी भवन की दीवार, छत, फर्श और बाहरी स्थलों में बनाए गए कलाकृतियों से नन्हे बच्चों को अक्षर बोध, रंगों को पहचानना, चित्रों के माध्यम से जानवरों के नाम को जानना, प्रारंभिक स्तर पर अंकों का ज्ञान के साथ छोटी-छोटी जानकारी बोलने, समझने में मदद मिलती है। आंगनबाड़ी की छत पर सौर मंडल, फर्श पर अक्षर और अंक, दीवारों पर अंग्रेजी और हिन्दी के अक्षरों के साथ जानवरों के चित्र बच्चों को खूब लुभाते हैं। नवीनतम तकनीक के इस प्रयोग से इस क्षेत्र शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने में मदद मिल रही है।

अर्ली चाइल्ड केयर एजुकेशन मोड्यूल के तहत पोषण पर भी चर्चा:
मॉडल आंगनबाड़ी केंद्रों पर अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन (ईसीसीई) दिवस पर पढाई के साथ पोषण पर भी जानकारी दी जाती है। इस दौरान विभिन्न सब्जियों और फलों का प्रदर्शन भी किया जाता है। साथ ही सब्जी एवं फलों से प्राप्त होने वाले पोषण के विषय में भी जानकारी दी जाती है। इसके अलावा माताओं को विभिन्न रोगों में सब्जी या फल के सेवन के विषय में भी जागरूक किया जाता है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन दिवस पर माताओं को बच्चे के 6 महीने पूरा होने क बाद अनुपूरक आहार देने की जरूरत पर भी जानकारी देती है। माताओं को खेल-खेल में बच्चों को अनुपूरक आहार खिलाने के संबंध में बताया जाता है।

मिलेंगी ये सुविधाएं:
• बच्चों को बैठने व खेलने के सभी सुविधाएं
• बेहतर महौल में शिक्षा
• शौचालय व पेयजल की सुविधा
• पोषण वाटिका
• गर्भवती महिलाओं के समुचित जांच की सुविधा
• लाइट व पंखा
• बेंच व कुर्सी टेबल
• बच्चों के टीकाकरण