सेंट्रल डेस्क: छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी आखिर कब लागू कर पाएगी, इसको लेकर कोई ठोस रणनीति नहीं दिख रही है. कांग्रेस सरकार की इस नीति को लेकर प्रमुख विपक्षी दल भाजपा विधानसभा के बजट सत्र के दौरान सदन में सरकार को घेर रही है. शराबबंदी को लेकर एक तरफ कांग्रेस सरकार रणनीति तैयार कर रही है तो वहीं सूबे के लोग सबसे अधिक शराब पीने में जुटे हैं.
छत्तीसगढ़ विधानसभा में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में 35 फीसदी से अधिक लोग शराब पीते हैं, जो इस मामले में दूसरे राज्यों से अव्वल है. शराब पीने के मामले में दूसरे नंबर पर त्रिपुरा और तीसरे नंबर पर पंजाब के लोग हैं. शराब के मामले में छत्तीसगढ़ आबादी में अपने से चार गुना बड़े महाराष्ट्र से भी दोगुनी ज्यादा कमाई कर रहा है.
महाराष्ट्र की आबादी 11.47 करोड़ है, जबकि शराब से कमाई करीब 10546 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष है. वहीं छत्तीसगढ़ की आबादी 2.55 करोड़ है. यहां शराब से कमाई साल 2018-19 में लगभग 4700 करोड़ रुपए हुई है. इस कमाई को आबादी से भाग दें तो छत्तीसगढ़ में शराब की खपत प्रति व्यक्ति 1843 रुपए प्रतिदिन की है. महाराष्ट्र में यह आंकड़ा 919 रुपए प्रति व्यक्ति है, लेकिन आबकारी मंत्री कवासी लखमा शराब की 1 अप्रैल से 50 दुकाने बंद करके अपनी पीठ थपथपा रहे हैं.
शराबबंदी को लेकर बीजेपी, कांग्रेस सरकार को सदन में घेर रही है. पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का कहना है कि कांग्रेस ने अपने जनघोषणा पत्र में पूर्ण शराबबंदी का जनता से वादा किया था, लेकिन उस वादे को वह भूल गई है. सरकार शराब बंद तो नहीं कर रही है, बल्कि दुकानें बढ़ाने की कोशिश में है. आबकारी विभाग के आंकड़ों के हिसाब से प्रदेश में अभी 701 शराब दुकानें संचालित हैं. इनमें से 377 देशी शराब बेचती हैं और 324 दुकानों से विदेशी शराब बेची जाती है.