सेंट्रल डेस्क: विपक्षी दलों और एससी-एसटी समुदाय के भारी विरोध के बीच केंद्र सरकार ने केंद्रीय सचिवालय में संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव के 45 पदों पर लैटरल एंट्री के जरिए नियुक्ति पर रोक लगा दी है। इस मामले में प्रधानमंत्री की सलाह पर मंत्री जितेंद्र सिंह ने UPSC को लेटरल एंट्री का विज्ञापन रद्द करने के लिए पत्र लिखा है।
सरकार का यह फैसला ऐसे समय में आया है जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी-एसटी आरक्षण में उप-वर्गीकरण का रास्ता खोलने और क्रीमी लेयर लागू करने की सिफारिश के खिलाफ 21 अगस्त को भारत बंद का आहूत है। लैटरल एंट्री का निर्णय रद्द किये जाने का श्रेय बहुजन समाज के जागरुक युवाओं को दिया जा रहा है । अब अगली लड़ाई उप वर्गीकरण के खिलाफ है। जिसके लिए 21 अगस्त भारत बंद रहेगा।
लेकिन केंद्र सरकार ने जहां लैटरल एंट्री पर फिलहाल रोक लगा दी है वहीं हरियाणा की भाजपा सरकार ने एससी-एसटी आरक्षण में उप-वर्गीकरण के कैबिनेट से प्रस्ताव पारित कर दिया है। हरियाणा की सैनी सरकार ने एससी एसटी आरक्षण में उप-वर्गीकरण का निर्णय ले लिया। कैबिनेट से प्रस्ताव पास कर इस पर चुनाव आयोग से सहमति की मांग की है।
इसे सैनी सरकार का असंवैधानिक निर्णय और शरारतपूर्ण हरकत माना जा रहा है। क्योंकि चुनाव की तारीखों का ऐलान हो जाने के बाद सरकार को किसी भी प्रकार का नीतिगत निर्णय लेने का अधिकार नहीं है। यह एक कामचलाऊ सरकार है। लेकिन एक कामचलाऊ सरकार ने निर्णय लिया है तो उसका मतलब और मकसद साफ है , वह आरक्षण में उप-वर्गीकरण करना चाह रही है!
जो लोग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के यह कहने पर मुदित हो रहे थे कि आरक्षण में कोई छेड़छाड़ नहीं होगा। क्रीमी-लेयर लागू नहीं होगा! उन्हें अपनी राय पर विचार करना चाहिए। इसी महीने संपन्न संसद सत्र के दौरान एससी-एसटी समुदाय के सौ सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी-एसटी आरक्षण में वर्गीकरण का रास्ता खोलने और क्रीमी-लेयर लागू करने का सुझाव दिये जाने पर चिंता जताई थी!
उस वक्त प्रधानमंत्री ने कहा था , क्रीमी-लेयर की सिफारिश नहीं मानेंगे। आरक्षण में छेड़छाड़ नहीं होगा। तब प्रधानमंत्री बड़ी चालाकी से आरक्षण में उप-वर्गीकरण पर चुप्पी साध गये थे। लेकिन लोभी-डरपोक सांसदों ने इस पर कुछ कहने के बजाय जय जयकार शुरू कर दिया था। मोदी सरकार में मंत्री जीतन राम मांझी और चिराग पासवान ने जुबान पर ताला लगा रखा है!
भाजपा सरकार 2018 से कर रही लैटरल एंट्री से नियुक्ति
नरेंद्र मोदी सरकार 2018 से नयी प्रतिभाओं को आगे लाने और मैन पावर की कमी दूर करने के नाम पर केंद्र सरकार के अलग-अलग विभागों में संयुक्त सचिव, निदेशक उप सचिव आदि पदों पर लैटरल एंट्री के जरिए सीधी नियुक्ति कर रही है। जिसके लिए साक्षात्कार के अलावा कोई परीक्षा नहीं होती है। आरक्षण प्रावधान का पालन नहीं होता है। अब तक 63 लोगों की नियुक्ति हुई है।
छह लोग बीच में सेवा छोड़कर चले गये। अभी 57 लोग कार्यरत हैं जिनमें 35 निजी क्षेत्र के हैं। टॉप ब्यूरोक्रेसी में विज्ञान , तकनीक और अर्थशास्त्र जगत के विशेषज्ञों को लैटरल एंट्री के जरिए लाने का पहला सुझाव 2008 में द्वित्तीय प्रशासनिक सुधार आयोग ने दिया था। जिसके अध्यक्ष कांग्रेस नेता एम विरप्पा मोइली थे। लेकिन उसे कांग्रेस की सरकार ने लागू नहीं किया।
लेकिन नरेन्द्र मोदी की सरकार ने उस सुझाव को आधार बनाकर एक किस्म की समानांतर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर दी! इसे लेकर सरकार पर आर एस एस और भाजपा समर्थक लोगों को ब्यूरोक्रेसी में चोर दरवाजे से घुसाने के आरोप लग रहे थे।