स्वामी प्रसाद मौर्य ने 1980 में राष्ट्रीय लोकदल से की थी अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत

Politics उत्तर प्रदेश लखनऊ

स्टेट डेस्क/लखनऊ। योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री और जिले के पडरौना विधानसभा क्षेत्र के विधायक स्वामी प्रसाद मौर्य ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया। चुनाव से ठीक पहले मंत्री पद से इस्तीफे के साथ ही मौर्य ने सपा का दामन थाम लिया है, इसकी जानकारी सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ट्वीट कर दी है।

वर्ष 2016 में बसपा छोड़ भाजपा में शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्य मूलरूप से प्रतापगढ़ जिले में चकवड़ के रहने वाले हैं। मौर्य ने 1980 में अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत राष्ट्रीय लोकदल से की थी। इलाहाबाद युवा लोकदल की प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य बने और जून 1981 से 89 तक महामंत्री भी रहे। 1989 से 91 तक यूपी लोकदल के मुख्य सचिव भी रहे। इसके बाद उन्होंने जनता दल का दामन पकड़ा और 1991 से 95 तक इस पार्टी के महासचिव पद पर रहे।

दो जनवरी 1996 को बसपा की सदस्यता ली और प्रदेश महासचिव बने। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ला में स्नातक व एमए करने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य बसपा से ही 1996 में रायबरेली जिले के डलमउ विधानसभा क्षेत्र से विधायक बनकर पहली बार सदन पहुंचे। मई 2002 से अगस्त 2003 तक मंत्री का दर्जा मिला। अगस्त 2003 से बसपा के नेता प्रतिपक्ष रहे। 2007 से 2009 तक बसपा सरकार में मंत्री भी रहे।

इसी वर्ष उन्होंने कुशीनगर जिले की तरफ राजनीतिक कदम बढ़ाया और 2009 में कुशीनगर लोकसभा सीट से बसपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े और हार का सामना करना पड़ा। कुंवर आरपीएन सिंह के चुनाव जीतकर सांसद बनने के बाद खाली हुई पडरौना विधानसभा सीट पर 2009 में हुए उप चुनाव पुन: बसपा के उम्मीदवार के रूप में मौर्य चुनाव लड़े और जीत मिली।

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इस सीट पर पुन: 2012 में भी उन्हाेंने जीत दर्ज की। इसी बीच बसपा का साथ छोड़कर आठ अगस्त 2016 को भाजपा का दामन थाम लिया और 2017 में पडरौना विधान सीट पर जीत की हैट्रिक लगाई। मौर्य की बेटी संघ मित्रा भाजपा से ही बदायूं संसदीय सीट से सांसद हैं।