आशा ज्योति केंद्र में मौत : पुलिस ने गलत तरीके से महिला को रखा अब डीएम ने दिए मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश

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कानपुर/बीपी प्रतिनिधि। आशा ज्योति केंद्र में महिला की संदिग्ध हालात में मौत के मामले ने तूल पकड़ लिया है। कल सपा के विधायकों ने सीएम से मामले की जांच हाईकोर्ट के वर्तमान जज से कराने की मांग रखते हुए पुलिस कमिश्नर को ज्ञापन सौंपा था। अब मामले में पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई है। मनमानी करते हुए पुलिस ने चोरी की आरोपी महिला को केंद्र में रखा था। किसी भी आरोपी को यहां रखा ही नहीं जा सकता। जिलाधिकारी ने पड़ताल के लिए एसीएम-6 नेतृत्व में जांच कमेटी बना दी है। जो पूरे प्रकरण की जांच करेगी।

केंद्र के व्यवस्थापक से जवाब तलब


मामले में केंद्र के व्यवस्थापक से भी जवाब तलब किया गया है। डीसीपी साउथ रवीना त्यागी पूरे मामले में पुलिस की भूमिका की जांच करेंगी। जांच के लिए एक हफ्ते का समय दिया गया है। मामले में डीएम के आदेश पर जिला प्रोबेशन अधिकारी ने छानबीन की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। जिला प्रोबेशन अधिकारी जयदीप सिंह ने कहा कि केंद्र में घरेलू हिंसा से पीड़ित, भूली, बिसरी, बेसहारा और नैतिक संकट वाली महिलाओं को ही रखा जाता है। किसी मामले की आरोपी महिला को केंद्र में नहीं रख सकते हैं। यही वजह है कि केंद्र के व्यवस्थापक से पूछा गया है कि किस आधार पर महिला को उन्होंने वहां रखा। जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने बताया कि पुलिस ने कैसे आशा ज्योति केंद्र में कैसे महिला को रखा? उनसे कैसे फांसी लगाई? समेत अन्य बिन्दुओं की मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए हैं।

क्या है मामला

गौरतलब है कि स्वरूप नगर स्थित रानी लक्ष्मीबाई आशा ज्योति केंद्र (सखी वन स्टॉप सेंटर) में चोरी के एक मामले में आरोपी किशोरी की मां का शव सोमवार दोपहर बाथरूम में फांसी पर लटका मिला। महिला व उसकी किशोरी बेटी नवाबगंज में पिछले माह हुई चोरी के मामले में आरोपी थी। इसके पहले मंगलवार को सपा विधायक अमिताभ वाजपेयी, इरफान सोलंकी और मोहम्मद हसन रूमी ने पुलिस कमिश्नर को इस बारे में ज्ञापन सौंपकर पुलिस को कठघरे में खड़ा कर दिया था। अब प्रशासन हरकत में आया है।

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