कानपुर, भूपेंद्र सिंह। उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ के पूर्व सचिव युद्धवीर सिंह के इशारे पर महिला क्रिकेट की महाप्रबन्धक रीता डे अब सालों से सेवांए देने वाले वेन्डरों पर गाज गिराने का काम शुरु कर दिया है। इसकी शुरुआत महिला महाप्रबन्धक ने कैटरिंग सर्विस देने वाले कैटर्स को बाहर का रास्ता् दिखाने से कर दी है। लगभग 50 से अधिक सालों से सेवाएं देने वाले कैटर्स के स्थान पर उन्होंने अनुभवहीन कैटर्स को नई जिम्मेदारी सौंप दी है। रीता डे महिला क्रिकेट के विकास को छोडकर दूसरे कार्यों में लिप्त हो रहीं हैं। वह संघ के तीसरे दर्जे के अपने खास सिपहसालारों के साथ संघ के लिए काम करने वाले वेन्डर्स पर दबाव बना रही थी। इसे संघ में अब नए वेन्डंर्स के प्रवेश दिलाने के रूप में देखा जा रहा है।
संघ के कार्यों में महिला महाप्रबन्धक का इतना अधिक हस्तक्षेप अब यूपीसीए के वेन्डर्स को अखरने भी लगा था। इससे भी अधिक ये निर्णय इसलिए भी चौंकाने वाला है क्योंकि ये सब वेन्डर्स पूर्व अध्य्क्ष डा.गौर हरि सिंहानिया के जमाने से संघ को सेवांए देते आ रहे थे और इस प्रकार के निर्णय केवल अध्यक्ष और सचिव की अनुमति के बिना संभव नही था। लेकिन रीता डे ने पूर्व सचिव और आलाकमान के इशारे पर इस प्रकार का निर्णय ले लिया। यूपीसीए के सूत्र बतातें है बीते डेढ साल पूर्व कमला क्लब मैदान में एक मैच के दौरान रीता डे ने कैटर्स को बाहर का रास्ता दिखाने की धमकी भी दी थी।
इस प्रकरण के बाद सें सालों से यूपीसीए को अपनी सेवाएं देने वाले वेन्डर्स इस समय खासे आक्रोश में है और पूर्व सचिव से शिकायत दर्ज कराने के लिए मौके की तलाश कर रहें हैं। रीता डे वेन्डर्स पर इतना अधिक दबाव बना रही है कि अब लोगों ने कार्यालय तक जाने के लिए अपने विचार त्यागने शुरु कर दिए हैं। रीता डे का दबाव संघ के कुछ सप्लायर पर भी पडने लगा है अभी तक मेरठ से गेंद आने वाली प्रक्रिया पर भी रोक लगानी शुरु कर नगर के गेंद सप्लायर से खरीदारी शुरु हो गयी है। गौरतलब है कि यूपीसीए को बीते 50 सालों से सेवाएं देने वाले वेन्डर्स जिसकी संख्या लगभग 18 से 24 के आसपास है अभी तक उनके कार्यो में किसी भी पदाधिकारी ने कोई कमी निकालने में सफलता नही प्राप्त की है लेकिन अब रीता डे ने सभी के कार्यो पर कमी निकालकर लताड लगानी शुरु कर दी है।
यही नही उनके निशाने पर अभी कुछ वेन्डर्स और भी हैं जिनको संघ से बाहर का रास्ता दिखाने की घुडकी भी उनकी ओर से दी जा रही है। इस ओर संघ के किसी भी पदाधिकारी और सदस्य ही ध्यान ही नही जा रहा है और महाप्रन्धक स्तर की अधिकारी अपने खासमखास सिपहसालारों के साथ मिलकर दोयम दर्जे के कर्मचारियों को परेशान करने से भी बाज आती नही दिखायी दे रही हैं। महाप्रन्धक की संघ के आलाकमान से नजदीकियों के चलते उनके खिलाफ कोई आवाज भी उठाना अपनी पराजय समझता है। महाप्रन्धक का साथ मीडिया कमेटी के सदस्य तालिब और विकेट निर्माणकर्ता शिवकुमार भी बखूबी देते आ रहे हैं।
इस तिकडी का कर्मचारियों पर इतना गहरा दबाव और प्रभाव है कि चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी तो उनके सामने अपना रास्ता तक बदलने को विवश हो जाते हैं। हालांकि उनकी कार्यर्शली से संघ के कई सदस्यों और कर्मचारियों में रोष व्याप्त है लेकिन नौकरी जाने और अपमान होने के डर के चलते उनके खिलाफ कोई आवाज नही उठाता। यूपीसीए के एक पदाधिकारी ने बताया कि संघ में अब कई सदस्यों ने इसका विरोध करना भी शुरु कर दिया है। कई शिकायतों के बाद भी आलाकमान उनपर किसी प्रकार का शिकंजा कसने में कामयाब नही हो सका है। अगर ऐसे ही चलता रहा तो संघ को सेवाएं देने वाले सदस्य एक –एक करके छोडते चलें जाएंगे जिससे प्रदेश क्रिकेट संघ की छवि धूमिल होगी। उन्हें रोकने के लिए अब सही दिशा में कदम उठाना पडेगा।