उत्तर प्रदेश की आबादी के आधार पर अब 4 क्रिकेट टीमों के गठन किए जाने की मांग

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–खिलाडियों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ अब पूर्व क्रिकेटरों का दल आएगा आगे

कानपुर। उत्तर प्रदेश राज्य की लगभग 25 करोड की आबादी के आधार पर अब क्रिकेट टीमों का गठन किए जाने की मांग एक बार फिर से उठने लगी है। यही नही प्रदेश के खिलाडियों के साथ अन्याय और सौतेले व्यवहार से आहत अब पूर्व क्रिकेटरों का दल उसे रोकने के लिए आगे आएगा। यूपीसीए के सूत्रों के मुताबिक इसके लिए बाकायदा फूल प्रूफ रणनीति तैयार की जा रही है। जिसमें कई सालों से सत्ता पर काबिज लोगों का विरोध किया जाएगा क्योंकि उनके चलते अब प्रदेश के बाहरी लोगों का हस्तंक्षेप अधिक हो चल पडा है। उत्तर प्रदेश मे अच्छे खिलाडिय़ों की कमी नही है लेकिन जिस तरह कुछ विशेष खिलाडिय़ो को बढ़ावा दिया जाता है और पुराने बेहतरीन खिलाडियों व नवोदित खिलाडियों की अवहेलना की जाती है वह सर्वथा अनुचित है।

आईपीएल व रणजी ट्राफी प्रतियोगिता इसका ज्वलंत उदाहरण है। यह एक कटु सत्य है कि 25 करोड़ की जनसंख्या वाले प्रदेश मे जहाँ लाखो बच्चे अपना क्रिकेट मे कैरियर बनाना चाहते है वही सभी टेलेंटेड खिलाडियों को एक टीम मे शामिल किया जाना सम्भव नही है और ऊपर से बाहरी खिलाडियों को हेराफेरी करके खिलाना प्रदेश के खिलाडियों के प्रति घोर अन्याय है। इसका सिर्फ और सिर्फ एक ही विकल्प है कि प्रदेश से 4 टीमे बने और बाहरी खिलाडियों पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध हो । पूर्व मे कई बेहतरीन खिलाडियों के साथ दुर्व्यवहार हुआ जिसके फलस्वरूप उन्होंने दूसरे राज्यो मे जाकर पनाह ली। मो. कैफ, आरपीसिंह जूनियर, पीयूष चावला, तनमय श्रीवास्तव जैसे बेहतरीन खिलाडियों के साथ दुर्व्यवहार किया गया जिसके कारण मजबूरन उन्हें दूसरे राज्यो से जाकर खेलना पडा।

यहाँ तक सुरेश रैना जैसे महान खिलाड़ी के साथ अंतिम 2-3 वर्षों मे इतना खराब बर्ताव किया गया कि उनका प्रदेश टीम से खेलने का मन ही उचट गया। प्रवीण कुमार ने भी दुखी होकर क्रिकेट से अलविदा कह दिया। वर्तमान मे भी कई खिलाडियों के साथ अन्याय हो रहा है। बहुत से अच्छे खिलाडियों के अभिभावको ने प्रदेश के क्रिकेट संचालन की खराब व्यवस्था को देखते हुए अपने होनहार बच्चो को शूरू से ही दूसरे राज्यो मे भाग्य अजमाने का फैसला किया। मो. शमी, चाहर बंधु, सूर्यकुमार यादव, यशस्वी जायसवाल, सरफराज अहमद, व बहुत से अन्य खिलाड़ी आज दूसरे प्रदशो से खेल रहे है।

प्रदेश क्रिकेट के संचालको को इसका कोई फर्क नही पड़ता कि प्रदेश टीम हारे या जीते , किसी खिलाड़ी का कैरियर बर्बाद हो या बहुतो के साथ अन्याय हो उन्हें केवल अपनी कुर्सी बचाने, अमीर लोगो व पावरफुल लोगो को खुश करने मे लगा रहता है। प्रदेश क्रिकेट से जुड़े हुए अधिकारियों व भूतपूर्व व वर्तमान खिलाडियों की इतनी हिम्मत नही कि वे अपना विरोध प्रकट कर सके। मोहम्मेद कैफ, सुरेश रैना, आर पी सिंह ,राहुल सप्रू , सुनील चतुर्वेदी आदि जैसे पूर्व खिलाडियों की सेवायें नही ली जा रही हैं। केवल उन्ही खिलाडियों की विभिन्न पदो पर प्रतिष्ठित पदो पर बिठाया जाता है जो आलाकमान के आदेशो का शत् प्रतिशत रूप से पालन करे।

यूपीसीए की कार्यप्रणाली से क्षुब्ध एक पदाधिकारी ने बताया कि जिन लोगो को मालूम है कि उनको जीवन पर्यंत कोई कुर्सी से हटा नही सकता वे निश्चित रूप से मनमानी करते है और अपने सभी कार्यो को उचित मानते है। मीडिया, खिलाडियों व जनमानस को प्रदेश क्रिकेट को संवारने व सुधारने मे आगे आना ही होगा तभी प्रदेश में क्रिकेट का भविष्य उज्जवल सम्‍भव हो सकेगा।