राजभवन से 5 महीने पूर्व निकले निर्देश का पालन न करा पाने में अक्षम रहा मेरठ विश्वविद्यालय प्रशासन

कानपुर
  • कुलाधिपति के विशेष कार्य अधिकारी को एक बार फिर से भेजा गया रिमाइन्डर

कानपुर, भूपेंद्र सिंह। यूपीसीए के पूर्व सचिव युद्धवीर सिंह के खिलाफ मेरठ कालेज में नौकरी पाने के लिए किए गए फर्जीवाडे और वेतन विसंगति पर शासन की ओर से की गयी जांच के बाद भी अभी तक किसी प्रकार की कार्य्रवाही मेरठ विश्वविद्यालय की ओर से नही की जा सकी है। राजभवन से 5 महीने पूर्व निकले निर्देश का पालन न करा पाने में मेरठ विश्वविद्यालय प्रशासन अभी तक सफलता नही पा सका है। इस मामले में शिकायतकर्ता ने एक बार फिर से राज्यपाल के विशेष कार्यालय अधिकारी को मेल और पत्रों के माध्यम से अवगत करवाया है जिसमें राजभवन से निकले निर्देश का पालन नही किए जाने का जिक्र किया गया है।

उन्होंने कहा है कि मेरठ विवि प्रशासन आरोपित को बचाने का काम करता आ रहा है इसकी भी जांच उच्चस्त्रीय तरीके से करवायी जानी चाहिए। जबकि राजभवन से विश्व विद्यालय प्रशासन को कार्यवाही के लिए 45 दिनों का समय मुकर्रर किया गया था। प्र्रदेश राज्यपाल कार्यालय की ओेर से गठित कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी थी जिसमें पूर्व सचिव को दोषी माना गया था। दो सदस्यीय कमेटी की ओेर से की जांच रिपोर्ट में उनके खिलाफ कार्यवाही करने की संस्तुति की गयी थी।

जांच के बाद यह तय माना जा रहा था कि राजभवन से अब यूपीसीए के पूर्व सचिव युद्धवीर सिंह के खिलाफ बर्खास्तगी के साथ रिकवरी करने के निर्देश भी जारी कर दिए जाएंगे। राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल के कार्यालय की ओर से दो सदस्यीय कमेटी का गठन बीती 22 दिसम्बर को किया था जिस पर गंभीरता से जांच करते हुए मामले की रिपोर्ट तैयार कर वापस कार्यालय में सौंप दी गयी थी। हालांकि यूपीसीए के पूर्व सचिव और मेरठ कालेज के प्रधानाचार्य युद्धवीर सिंह ने अपने कुछ खास लोगों के साथ जांच कमेटी पर प्र्रभाव दिखाते हुए उसे रुकवाने के साम-दाम-दण्ड्-भेद के प्रयोग करने का अथक प्रयास किया जिसमें वह सफलता नही पा सके थे।

कुलाधिपति कार्यालय से 22 दिसंबर को जारी इस निर्देश पत्र में साफ तौर पर अंकित किया गया था कि यूपीसीए के पूर्व सचिव व निदेशक युद्धवीर सिह के खिलाफ तदर्थ नियुक्ति, विनियमितीकरण और प्रोन्नति कि शिकायत दर्ज कराई गई थी जिस पर मामला लंबित चल रहा था। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शिकायती पोर्टल पर मेरठ कालेज के प्रोफेसर और उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्व सचिव डा. युद्धवीर सिंह के खिलाफ दो लाभ के पदों पर कार्यरत रहने की शिकायत की गई थी। गौरतलब है कि महाविद्यालय के प्राचार्य पद पर रहे डॉ युद्धवीर सिंह की सेवा पुस्तिका में हेरफेर कर अपना विनियमितीकरण शासन से साँठगाँठ कर करा कर फायदा उठाने की शिकायत दर्ज करायी गयी थी।

यही नही उनपर मेरठ कॉलेज शिक्षक वेलफेयर एसोशिएशन ने क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी मेरठ व अन्य उच्च अधिकारियों को आपत्ति दर्ज कराई गयी थी।मेरठ कॉलेज के प्रबंध समिति के अवैतनिक सचिव , शासन व यूजीसी से प्राप्त ग्रांट की धनराशि को प्राचार्य के साथ जॉइंट अकाउंट में रखकर निविदाएं अपने परिचितों से प्राचार्य के नाम पर बल पूर्वक मंगवाते रहे हैं और अपना व्यक्तिगत एवं आर्थिक हितों की पूर्ति करते आए हैं। शिकायतकर्ता ने ‘एक बार फिर से राजभवन के विशेष कार्याधिकारी को भेजे एक रिमाइन्डर से राजभवन को यह अवगत करवाया है कि यूपीसीए के पूर्व सचिव युद्धवीर सिंह के खिलाफ झूठे दस्तावेज प्रस्तुत सरकार के पास जमा करके नौकरी पाने पर आपराधिक व षड्यंत्रकारी नीति का सहारा लिया है जिसके लिए वही आरोपी बनाए जा सकते हैं। इस मामले में जब यूपीसीए के संयुक्त सचिव से बात करनी चाही तो उन्होंने उसे आलाकमान का हवाला देते हुए बात करने से मना कर दिया।