एफआईआर कर धमकाया फिर, समझौता मेल चलाया नही बनी बात तो फिर एफआईआर कराया

कानपुर

कानपुर/भूपेंद्र सिंह। उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ में विरोध करने वालों की आवाज को दबाने के लिए ऊचें स्तर के पदाधिकारी हर जतन करने के तैयार रहते है। वह अपने आगे किसी को बर्दाश्तं ही नही कर सकते ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया
है। आगरा क्रिकेट एसोसिएशन के एक पदाधिकारी ने संघ के शीर्ष व सर्वेसर्वा के खिलाफ आवाज उठायी तो उनके खिलाफ गबन का आरोप लगा कर एफआईआर लिखवा दी।

जब वह एफआईआर से नही डरे और अपनी आवाज को बुलन्द करते रहे तो फिर पूर्व सचिव ने उनसे समझौता करने के लिए चिटठी भेजी और उन्हे  एसोसिएशन में एक अच्छा सा पद देने का भी प्रलोभन दिया लेकिन बात नही बनी और एक बार फिर से मामले ने तूल पकडा और नौबत दोबारा एफआईआर तक आ गयी। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ के पूर्व सचिव व उनकी टीम एसोसिएशन में आर्थिक व अन्य प्रकार के घोटालों में लिप्त रही जिसका विरोध आगरा व अन्य जिला क्रिकेट संघ के पदाधिकारी लगातार करते रहे। पूर्व सचिव के प्रभावशाली व्‍यक्तित्‍व के आगे छोटे जिला संघों के पदाधिकारियों की एक न चली और तो और पूर्व सचिव के खासमखास शिष्यों  ने उनके खिलाफ ही मुकदमे बाजी शुरु कर दी।

आगरा और कई संघों के खिलाफ उनके समानान्तर ही एक कमेटी को आगे कर उनको यूपीसीए की ओर से संघ की मान्यता भी प्रदान कर दी। आगरा के एक पदाधिकारी के खिलाफ यूपीसीए के पूर्व सचिव के खास व पूर्व कोषाध्यक्ष स्वर्गीय मदन मोहन मिश्रा ने गबन का आरोप लगाकर अगस्त  के महीने में एफआईआर दर्ज करवा दी। आगरा के पदाधिकारी ने बिना डरे ही अपने ऊपर लगे आरोपों को गलत साबित कर दिया तो फिर पूर्व सचिव ने उसी महीने अपने नाम से उनको चिटठी भेजकर समझौते का दबाव बनाया और यही नही उन्हेे संघ में एक अच्छा सा पद देने का लालच दिया।

आगरा के पदाधिकारी ने उस पद को भी ठुकरा दिया अब एक बार फिर से उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा कर उन्हे  संघ के खिलाफ आवाज उठाने के लिए धमकाया जा रहा है। यूपीसीए के डायरेक्टर इन्चार्ज रियासत अली ने बताया कि इस मामले में उन्हे किसी प्रकार की जानकारी नही है।

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