UP : गाजियाबाद, प्रयागराज और आगरा में भी लागू कमिश्नरेट सिस्टम, डीजीपी ने जताई खुशी

उत्तर प्रदेश

Lucknow, Befoerprint : योगी आदित्यनाथ सरकार ने तीन नए कमिश्नरेट के गठन को मंजूरी दे दी है। प्रदेश में अब सात पुलिस कमिश्नरेट होंगे। एनसीआर के गाजियाबाद में कमिश्नरेट सिस्टम लागू किया गया है। वहीं प्रयागराज और आगरा में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू किया गया है। इस प्रकार प्रदेश में सात कमिश्नरेट हो गए हैं। इन सभी जिलों में अब कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने की जिम्मेदारी कमिश्नरेट प्रणाली पर होगी। कानपुर, लखनऊ, वाराणसी और गौतमबुद्धनगर में पहले से कमिश्नरेट सिस्टम लागू है।

यूपी के डीजीपी डीएस चौहान ने इस बारे में कहा कि मैं सरकार के फैसले से बहुत खुश हूं। अच्छी व्यवस्था के लिए ये क्रांतिकारी कदम है। इससे अपराध नियंत्रण, माफिया पर कार्रवाई में सफलता मिलेगी। आगरा हमारा अन्तर्राष्ट्रीय शहर है, प्रयागराज में सबसे बड़ी ह्यूमन गेदरिंग होती है, गाजियाबाद जनपद हमारा इंडस्ट्रियल गेटवे है।

कमिश्नरेट सिस्टम लागू करने के बाद कमिश्नरों की तलाश तेज

योगी सरकार की कैबिनेट की बैठक के बाद आपको बताते हैं कि यह कमिश्नरेट सिस्टम होता क्या है? यह कानून व्यवस्था की स्थिति को बेहतर बनाने में किस तरह मदद करता है? सबसे पहले यह जान ले कि योगी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में 13 जनवरी 2020 को लखनऊ और नोएडा में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू की। लखनऊ में सुजीत पांडे और नोएडा में आलोक सिंह पहले पुलिस कमिश्नर बने थे। फिर मार्च 2021 को दूसरे चरण में कानपुर और वाराणसी में भी पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू हो गया। वाराणसी में ए सतीश गणेश और कानपुर में विजय सिंह मीणा को पुलिस कमिश्नर बनाया गया। अब योगी सरकार ने प्रयागराज, आगरा और गाजियाबाद में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू करने का फैसला लिया है।

कैबिनेट की मुहर लगने के बाद पुलिस कमिश्नरों की तलाश भी तेज हो गई है। किसी भी वक्त इन तीनों जिलों में पुलिस कमिश्नर तैनात किए जा सकते हैं। एनसीआर से सटे गाजियाबाद में यूपी चुनाव के दौरान अपराध की घटनाओं को लेकर सवाल खड़े हो गए थे। ऐसे में योगी सरकार ने कमिश्नरेट सिस्टम के जरिए जिले की आपराधिक घटनाओं पर काबू पाने का फैसला लिया। आगरा और प्रयागराज यूपी में पर्यटन का बड़ा केंद्र है। यहां पर देश विदेश से पर्यटक आते हैं। प्रयागराज में तो हाई कोर्ट, इलाहाबाद विश्वविद्यालय और यूपी बोर्ड कार्यालय होने से इलाके की संवेदनशीलता और भी ज्यादा है। इन्हीं स्थितियों को देखते हुए योगी सरकार ने यहां पर कमिश्नरेट सिस्टम लागू करने का निर्णय लिया है।

क्या होता है कमिश्नरेट प्रणाली में

पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू होते ही डीएम के कई अधिकार पुलिस कमिश्नर को मिल जाते हैं। इसमें पुलिसकर्मियों के तबादले अब कमिश्नर स्तर पर हो सकेंगे। लाठी चार्ज या फायरिंग के आदेश पुलिस कमिश्नर दे सकते हैं। जिन जिलों में यह सिस्टम लागू नहीं है, वहां डीएम के पास सीआरपीसी कानून- व्यवस्था संबंधी कई अधिकार होते है। पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम में यह सारे अधिकार जिलाधिकारी के जगह सीधे पुलिस कमिश्नर के पास होंगे। पुलिस कमिश्नरी सिस्टम में एडीजी रैंक का अधिकारी ही पुलिस कमिश्नर होता है। यह जिले की कमिश्नरेट का सर्वोच्च पद होता है। इसके बाद आईजी रैंक का अफसर संयुक्त पुलिस आयुक्त होता है। डीआईजी स्तर के अधिकारी अपर पुलिस आयुक्त बनाए जाते हैं। जिलों को अलग-अलग जोन में बांट दिया जाता है। हर जोन में एसपी रैंक का अधिकारी पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) नियुक्त किया जाता है। डीसीपी के अधीन अपर पुलिस उपायुक्त (एडीसीपी) बनाए जाते हैं, जो एएसपी रैंक के अफसर होते हैं। नीचे की प्रणाली समान ही होती है।