मां बाप का न अनादर करो जितना हो सके जी भर सेवा करो

फ़ुलवारी शरीफ

नुक्कड़ नाटक के जरिए माता पिता का सम्मान करने का दिया गया संदेश

फुलवारीशरीफ, अजीत. सर्वमंगला सांस्कृतिक मंच की ओर से साप्ताहिक (रविवारीय) नुक्कड़ नाटक की श्रृंखला में महेश चौधरी द्वारा लिखित एवं अमन राज द्वारा निर्देशित नुक्कड़ नाटक- “माता-पिता अनमोल रतन” की प्रस्तुति, वाल्मी, फुलवारीशरीफ में की गई. नाटक का शुरुआत सौरभ राज के स्वरबद्ध गीत- माता-पिता अनमोल रतन है इनसे बड़ा भगवान नहीं, कदर नहीं जिसे मात-पिता की उससे बड़ा नादान नहीं….से हुई.

नाटक में यह बताने की कोशिश की गई कि विधवा मां दूसरे के घर में बर्तन मांज कर अपने तीन बेटों का परवरिश करती है. उसका बड़ा लड़का पढ़- लिखकर आईएस ऑफिसर बनता है. तभी उसकी पोस्टिंग एक शहर में हो जाती है तथा उसे रहने के लिए बड़ा बंगला और सरकारी गाड़ी मिलती है .फिर वह बड़े घराने की लड़की से शादी करके अपने बंगले में रहने लगता है. वह अपनी मां को भी अपने साथ रखना चाहता है परंतु उसकी पत्नी उससे कहती है कि यदि मां और भाई को अपने साथ रखोगे तो मैं आपके साथ नहीं रहूंगी.

कुछ दिनों के बाद मां बेटा से मिलने शहर आती है लेकिन वह पत्नी के भय से मां से बात तक नहीं करता है .इसके कारण मां को बड़ा सदमा लगता है और वह गांव लौटते रहती है . तभी रास्ते में उसकी सड़क हादसे में मौत हो जाती है तब बेटा मां से लिपट कर बहुत रोता है. इसके लिए अपने आप को अपराधी मानते हुए कहता है कि मां मैं आंख रहते हुए भी अंधा हो गया था इसलिए अब इस जिंदगी से आजाद होना चाहता हूं . वहां उसकी पत्नी आती है और अपने गुनाह को कबूल करते हुए पति का पैर पकड़कर माफी मांगती है.

वह रोते हुए कहती है कि मैं अपने परिवारीक पथ से भटक गई थी जिसके कारण मैं अपनी भारतीय संस्कृति और सभ्यता को भूल गई और मुझसे यह अपराध हो गया. अब मैं एक अच्छी पत्नी बनकर आपका जीवन भर साथ दूंगी तथा भगवान से यह प्रार्थना करती है कि हे भगवान हम लोग जो व्यवहार अपने मां के साथ किया वैसा व्यवहार हम लोगों के साथ हमारा बेटा ना करें. नाटक के कलाकार महेश चौधरी, सौरभ राज, अमन, मिथिलेश कुमार पांडे, करण, रोहित, यश, अभिषेक, आदर्श, रंजन, शशांक, गोलू, हरिकांत और जीवन थे.