dumraon : जलवायु अनुकूल खेती से सूखा जैसी चुनौती को अवसर में बदलनें की जरूरत है-डा.झा

बक्सर बिहार

कृषि विभाग के उप निदेशक नें कहा कि-‘नीलगाय अनुसंधान केन्द्र‘ पूरे देश को अलग संदेश देगा

Buxar, Vikrant : कृषि विभाग के उप-निदेशक डा.अनिल झा नें कहा कि जलवायु अनुकूल खेती के माध्यम से सूखा जैसी चुनौती को अवसर में तब्दील करने की जरूरत है। जलवायु अनुकूल फसल की बुआई, प्रभेद का चयन, विभेदीकरण के आलावे आधुनिक कृषि यंत्रों के उपयोग करने के लिए किसानों को प्रशिक्षण प्रदान करने का कार्य जारी है। उन्होनें बताया कि किसानों को प्रशिक्षित कर उनके बीच कृषि क्षमता संबर्द्धन का काम तेजी से चल रहा है। उन्होनें बताया कि महज 45 फीसद कम बारिस हुई है। इस हालत में किसानों को महज धान की खेती पर ही निर्भर नहीं रहना चाहिए। बल्कि सूखे की चुनौती को अवसर में तब्दील करने के लिए सोयाबीन, मड़ुआ, ज्वार, बाजरा एवं मोेंटेनस आदि की सीधे बुआई करनी चाहिए। कृषि विभाग के उप निदेशक डा.अनिल झा नें जलवायु परिवर्तन के अनुकूल कृषि कार्य को बढ़ावा देने को डुमरांव कृषि कालेज के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए कार्यो की तारीफ करते हुए उनके के प्रति साधुवाद व्यक्त की।

उप-निदेशक डा.झा ने बताया कि कृषि विभाग द्वारा खरीफ मौसम के दरम्यान राज्य के प्रत्येक जिला के 595 एकड़ जमीन में जलवायु अनुकूल कृषि तकनिकी का प्रदर्शन किया जा रहा है। उन्होनें कृषि विज्ञान को बढ़ावा देने के उद्येश्य से स्थानीय कृषि कालेज के प्राचार्य को डुमरांव के राज हाई स्कूल में इंटर कृषि विज्ञान की होने वाली पठन पाठन में सहयोग प्रदान करने को सलाह दी। कृषि विभाग के उप-निदेशक डा.झा शनिवार को डुमरांव स्थित हरियाणा फार्म के पास मौजूद कृषि कालेज की जमीन एवं कालेज परिसर की जमीन पर जलवायु अनुकूल धान की नई प्रभेद विकसित करने को लेकर धान के विभिन्न किश्म के पौधों का किए गए रोपण का अवलोकन करने पंहुचे हुए थे।

आगे उन्होनें कृषि कालेज के गेस्ट हाउस में स्थानीय मिडिया कर्मियों से बात-चीत के दरम्यान कहा कि डुमरांव स्थित हरियाणा फार्म के पास कृषि कालेज की जमीन पर नीलगाय को पालतू जानवर बनाए जाने को लेकर बड़े पैमाने पर अनुसंधान केन्द्र बहुत जल्द ही मूर्तरूप लेगा। डुमरांव का नीलगाय अनुसंधान केन्द्र सूबे ही नहीं अपितु पूरे देश में एक अलग संदेश प्रदान करेगा। कृषि विभाग के उप निदेशक डा.झा ने बताया कि राज्य सरकार के कृषि विभाग द्वारा नीलगाय पर अनुसंधान कार्य मद में करीब 60 लाख की राशि आवंटित किया जा चुका है।

वन विभाग ने वन्य जीव नीलगाय पर अनुसंधान करने को लेकर अनुमति प्रदान कर दी है। इस मौके पर परियोजना समन्वयक, पटना डा.विजय सिंह मीणा, प्राचार्य डा.रियाज अहमद के आलावे वैज्ञानिको में यथा डा.प्रकाश सिंह, डा.बिनोद कुमार सिंह, डा.ए.के.जैन, डा.एस.आर.पी.सिंह, ई.अनमोल, डा.प्रभाकर भाष्कर, लेखा पदाधिकारी नरेन्द्र कुमार एवं तकनिकी सहायक आदि मौजूद थे।