शासन- प्रशासन की मिलीभगत से बगैर अनुज्ञप्ति चल रह दर्जनों स्टोन चिप्स डंपिंग यार्ड

नवादा

नवादा (रवीन्द्र नाथ भैया) जिले के उग्रवाद प्रभावित रजौली अनुमंडल कार्यालय के समीप अवैध रूप से स्टोन चिप्स का व्यापार जोर शोर से चल रहा है। निजी तौर पर बगैर अनुज्ञप्ति के ही स्टोन चिप्स का डंपिंग यार्ड बनाकर दुगने-तिगुने दामों पर बेचने का कार्य माफियाओं के द्वारा किया जा रहा है। जिससे प्रतिदिन सरकारी राजस्व का नुकसान हो रहा है। सूत्रों के अनुसार रजौली प्रखंड क्षेत्र में किसी भी पत्थर खदान का लीज नहीं है।

बावजूद यहां के लोग झारखंड की ओर से सैकड़ों ओवरलोड ट्रकों पर बगैर कागजात के स्टोन चिप्स लाकर डंपिंग करते हैं एवं क्षेत्रीय लोगों के बीच महंगे दाम वसूल कर गिट्टी मुहैया कराते हैं। अनुमंडल कार्यालय के समीप ऐसे लगभग दो दर्जन से अधिक डंपिंग क्षेत्र हैं जहां सुबह से शाम तक गिट्टी गिरा कर बेचने का कार्य किया जाता है। जबकि अनुमंडल कार्यालय के दर्जनों पदाधिकारी प्रत्येक दिन इस रास्ते से आते-जाते हैं। बावजूद सड़कों के किनारे डंपिंग कर गिट्टी बेचने वाले लोगों की कागजातों की जांच नहीं की जा रही है जिससे अवैध धंधा करने वाले लोगों की दिन दूनी – रात चौगुनी तरक्की हो रही है। साथ ही सरकारी राजस्व की जबर्दस्त क्षति हो रही है।

क्रेशर मशीन पत्थर के अभाव में महीनों से बंद पड़ा है। लोगों की मानें तो यह डंपिंग यार्ड वाले झारखंड के कोडरमा, डोमचांच, राजधनवार, गिरिडीह आदि क्षेत्रों से गुपचुप तरीके से गिट्टी लाकर यहां गिराते हैं और मकान निर्माण करने वाले ग्राहकों के बीच दूसरे जगह से लाकर बेचने की बात कहकर दुगनी राशि वसूल कर रहे हैं। क्योंकि रजौली के गिट्टी तोड़ने वाले सभी क्रेशर मशीन पत्थर के अभाव में महीनों से बंद पड़ा है। माफियाओं की सांठगांठ जांच चौकी के समीप वाहन पास कराने वाले स्थानीय दलालों से होती है जो चितरकोली के होते हैं और बगैर कागजात के गिट्टी लदे वाहनों को चौकी पार कराकर इन लोगों के पास सुरक्षित गिट्टी लदे ट्रक को पहुंचा देते हैं।

कहते हैं अधिकारी :
एसडीओ आदित्य कुमार पीयूष ने बताया कि डंपिंग कर बेचने वाले लोगों के कागजातों की तहकीकात खनन विभाग के द्वारा कराया जाएगा। जो लोग बगैर वैध कागजात के गिट्टी की बिक्री कर रहे होंगे। उनके खिलाफ उचित कानूनी कार्यवाही की जाएगी। वैसे इनकी बातों पर यकीन करना मुश्किल है। ऐसा इसलिए सबकुछ इनकी आंखों के सामने हो रहा है बावजूद कार्रवाई के नाम पर कहीं कुछ नहीं हो रहा है।