बिना भवन के चल रहे एक हजार से अधिक आंगनबाड़ी केंद्र, दाे साै की हालत जर्जर

नवादा
  • केंद्र का किराया भी कई माह से बकाया, 3 साल पहले भेजा गया प्रस्ताव अब तक पेंडिंग

नवादा (रवीन्द्र नाथ भैया) नवजात शिशुओं और नौनिहाल बच्चों को शुरुआती शिक्षा देने तथा देखभाल के लिए गांव-गांव में स्थापित आंगनबाड़ी केंद्र संसाधनों का अभाव झेल रहा है। 1400 से अधिक आंगनबाड़ी केंद्र भवन हीन है। ऐसे केंद्र या तो किराए के छोटे कमरे में चल रहे हैं या फिर किसी सरकारी भवन में। अपना भवन नहीं होने के चलते गुणवत्तापूर्ण संचालन संभव नहीं हो पा रहा। जिले में करीब 2484 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहे हैं। इनमें से 988 यानी करीब 1000 से कम ही आंगनबाड़ी केंद्रों का अपना भवन है। शेष आंगनवाड़ी केंद्र अन्य सरकारी भवनों, किराया के कमरे या अन्य जर्जर स्थानों पर चल रहे हैं।

पिछले साल आंगनवाड़ी केंद्रों के निर्माण के लिए करीब 66 लाख रुपए का आवंटन हुआ था लेकिन इतनी राशि से बमुश्किल 10 आंगनवाड़ी केंद्र ही बन सकते हैं। आंगनबाड़ी केंद्रों के भवन निर्माण को लेकर कई तरह की परेशानियां आ रही है। कभी बजट का दिक्कत तो कभी जगह का। कहीं मामला भूमि विवाद का हो जा रहा है तो कहीं भूमि अधिग्रहण में परेशानी रही है। इसके चलते आंगनबाड़ी केंद्र का भवन निर्माण लंबित रह रहा है। इसके चलते सैकड़ों आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों को पूरी तरह से अभावग्रस्त परिस्थितियों के बीच अक्षर बोध से जुड़ना पड़ रहा है।

कहीं छोटे कमरे तो कहीं बरामदे में केंद्र:-
जहां आंगनबाड़ी केंद्र का अपना भवन नहीं है वहां आंगनबाड़ी सेविका अपनी सहूलियत के अनुसार घर, दालान, स्कूल, सामुदायिक भवन आदि स्थानों पर आंगनबाड़ी केंद्र का संचालन कर रही है। बताया जाता है कि करीब 900 आंगनबाड़ी केंद्र किराए के मकानों में संचालित हो रहे हैं। करीब 80 से अधिक आंगनबाड़ी केंद्र स्कूलों में चल रहे हैं जबकि 450 से अधिक आंगनबाड़ी केंद्र विभिन्न सरकारी भवनों में संचालित हो रहे हैं।

आंगनबाड़ी में जाने वाले बच्चों की उम्र बहुत कम होती। 3 साल से 7 साल के बच्चे आंगनबाड़ी केंद्रों में रहते हैं। लेकिन जर्जर भवन, छोटे और संकीर्ण कमरे, खुले आसमान के नीचे और खिड़की दरवाजा विहीन कमरों में इन बच्चों की जान सांसत में रहती है। गर्मी का समय आ चुका है तो यह परेशानी और बढ़ेगी। और सिर्फ गर्मी में ही नहीं बल्कि बरसात और ठंड के दिन में बच्चों को काफी कठिनाई होती है।

समय पर किराया का भी भुगतान नहीं:-
ऊपर से परेशानी यह है कि जिन किराया के भवनों में आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहे हैं उनका किराया भी समय पर भुगतान नहीं हो रहा है। आंगनवाड़ी सेविका सहायिका इसके लिए आंदोलन भी करते रहते हैं। बिहार राज्य आंगनवाड़ी सेविका सहायिका संघ के नेता बताते हैं कि किराए के भवन में चलने वाले आंगनबाड़ी केन्द्रों को समाज कल्याण विभाग द्वारा किराए की राशि भी नहीं दी जा रही है। बार-बार गुहार लगाने और आंदोलन के बाद भी उन्हें किराए की राशि के लिए दर दर भटकना पड़ता है।