स्वतंत्रता सेनानी जगलाल चौधरी की जयंती पर छलका पासी समाज का दर्द, कहा-शराबबंदी की आड़ में हो रहा जबरदस्त उत्पीड़न!

पटना

स्टेट डेस्क / पटना : स्वतंत्रता सेनानी बाबू जगलाल चौधरी की पुण्यतिथि के मौके पर बिहार में शराबबंदी की आड़ में पासी समाज के शोषण-उत्पीड़न का मामला भी चर्चा का विषय बना! हालांकि आयोजक इस मसले पर चर्चा से परहेज़ करते दिखे। लेकिन कुछ वक्ताओं ने जब इस मसले को छेड़ा तो श्रोताओं ने उनका समर्थन किया। पासी समाज के उत्पीड़न के मामले पर वहां मौजूद लोगों के आक्रामक रूख को देखते हुए आयोजकों ने घोषणा की कि इस मुद्दे पर चर्चा के लिए अलग से बैठक बुलाई जायेगी। जिसमें पासी बिरादरी के सभी संगठनों के प्रतिनिधियों को अपनी बात रखने को बुलाया जायेगा।

राजधानी में जगजीवन राम सामाजिक अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान के सभागार में रविवार को सवतंत्रता सेनानी बाबू जगलाल चौधरी की 128वीं जयंती का आयोजन जगलाल चौधरी स्मृति संस्थान ने किया था। समारोह की अध्यक्षता बाबू जगलाल चौधरी के पुत्र डा धर्मदेव चौधरी कर रहे थे। जबकि संचालन चीफ इंजीनियर (सेवानिवृत्त) विश्वनाथ चौधरी कर रहे थे। पूर्व मंत्री मुनेश्वर चौधरी ने दीप जलाकर समारोह का उद्घाटन किया। समारोह को दूसरी बिरादरी और दूसरे संगठनों के नेताओं ने भी संबोधित किया। जगलाल चौधरी के सानिध्य में काम कर चुके सारण के गरखा से आये बैद्यनाथ सिंह विकल ने कहा कि बाबू जगलाल चौधरी को बिहार का गांधी कहा जाता था। वे राजनीति में ईमानदारी और सेवा भावना के प्रतीक थे। आजादी की लड़ाई में उन्होंने अपने बेटे की कुर्बानी दी थी।

राजद के बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष और पूर्व डीजीपी अशोक गुप्ता ने देश के संविधान पर कुठाराघात और न्यायपालिका की सर्वोच्चता पर खतरे को रेखांकित करते हुए कहा कि देश में अघोषित इमरजेंसी के हालात हैं। ऐसे में लोकतंत्र और संविधान को बचाना ही बाबू जगलाल चौधरी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। अधीक्षण अभियंता,भवन निर्माण विभाग विनोद चौधरी ने कहा, हमें जिन विभूतियों ने सम्मान के साथ जीने का अधिकार दिया है, उनमें बाबू जगलाल चौधरी का नाम भी उल्लेखनीय है। हमें हमारे समाज के आदर्शों को अंतिम पायदान‌ पर खडे़ लोगों तक ले जाना होगा। महापुरुषों की स्मृतियों और विरासत को सहेज कर रखना होगा।

उन्होंने प्रस्ताव किया कि जगलाल चौधरी स्मृति संस्थान की ओर ‘प्रतिभा सम्मान’ कार्यक्रम शुरू करना चाहिए। प्रत्येक साल मैट्रिक की परीक्षा में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले पासी समाज के छात्र-छात्राओं को जगलाल चौधरी प्रतिभा सम्मान पुरस्कार दिया जाये। इसके तहत मेडल और‌ पुरस्कार राशि दी जाये। चौधरी का दूसरा प्रस्ताव था कि जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं शोध संस्थान प्रत्येक साल जगलाल चौधरी स्मृति व्याख्यानमाला का आयोजन करें!

कैमूर जिले से आये गिरधारी चौधरी ने कहा, शराबबंदी की ओट में पासी समाज का जबरदस्त शोषण-उत्पीड़न हो रहा है। पासी समाज से जीने का अधिकार उनका परंपरागत पेशा छीन लिया गया है। सरकार को ताड़ी की बिक्री पर से पाबंदी हटाना‌ चाहिए। सुरेन्द्र कुमार चौधरी ने भी पासी समाज की प्रताड़ना का‌ मामला‌ उठाया। आयोजकों ने इन वक्ताओं से जयंती पर अपनी बात रखने का आग्रह किया था तो सभागार में हल्ला होने लगा। बाद में जगलाल चौधरी स्मृति संस्थान और अखिल भारतीय पासी समाज के अध्यक्ष बिहारी चौधरी ने घोषणा की कि पासी समाज के उत्पीड़न के मामले पर चर्चा करने को‌ अलग से बैठक बुलाई जायेगी।

समारोह में विशिष्ट अतिथि के तौर पर पूर्व विधायक, श्रीमती प्रेमा चौधरी, पूर्व विधायक मनीष कुमार, डा० नरेन्द्र पाठक निदेशक, जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान और सुरेश चौधरी, अध्यक्ष अखिल भारतीय पासी समाज,पश्चिम बंगाल उपस्थित थे। इसके अलावा हीरालाल चौधरी, जगदीश चौधरी, राजा चौधरी, सुजीत कुमार, सुरेन्द्र कुमार चौधरी, अशोक चौधरी, पिंकी भारती, अरविन्द चौधरी, दीपक कुमार, गिरधारी चौधरी, चन्द्रशेखर मंडल आदि ने भी जगलाल बाबू के जीवन- दर्शन पर अपने विचार रखे।

बिहार के पहले दलित कैबिनेट मंत्री थे जगलाल चौधरी

जब जगलाल चौधरी कलकत्ता मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के अंतिम वर्ष में थे तो उन्होंने महात्मा गांधी के आह्वान पर पढ़ाई बीच में छोड़ दी और स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े। जगलाल चौधरी ने 1921 के असहयोग आन्दोलन में सक्रियता से भागीदारी निभाई। ब्रिटिश सरकार ने जब 1937 में प्रांतीय स्वायत्तता की बात की तो चुनाव में बिहार सहित 11 राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनी। 20 जुलाई, 1937 को श्रीकृष्ण सिंह मुख्यमंत्री बने और उनके नेतृत्व में अनुग्रह नारायण सिंह, सैयद महमूद तथा जगलाल चौधरी मंत्रिमंडल में शामिल किये गए। जगलाल चौधरी ने 20 जुलाई 1937 को आबकारी और लोक स्वास्थ्य विभाग के कैबिनेट मंत्री का पदभार ग्रहण किया। 30 मार्च, 1946 को श्रीकृष्ण सिंह को अन्तरिम सरकार बनाने का न्यौता मिला। श्रीकृष्ण सिंह सहित चार मंत्रियों ने शपथ लिया। जगलाल चौधरी को पुनः कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई। उन्हें स्वास्थ्य और कल्याण मंत्रालय सौंपा गया।

आजादी के बाद 1952 के आम चुनाव में गरखा (सारण) सुरक्षित सीट से चुनाव जीते। 1957, 1962, 1967, 1969 के चुनावों में भी विधायक चुने गये। उनका निधन 9 मई, 1975 को हो गया। उनके सम्मान में भारत सरकार ने वर्ष 2000 में डाक टिकट जारी किया। इसके पहले 1970 में ही छपरा में जगलाल चौधरी कॉलेज की स्थापना हुई। बाद में 5 फरवरी 2018 को जगलाल चौधरी की आदमकद प्रतिमा का अनावरण पटना के कंकड़बाग में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया।

जगलाल चौधरी का जन्म 5 फरवरी 1895 को सारण जिले के गड़खा प्रखंड के मीटेपुर गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम मुसन चौधरी और माता का नाम तेतरी देवी था। ये बिहार के दलित समुदाय में शामिल पासी जाति से आते थे, जिनका पारंपरिक पेशा ताड़ी बेचने का है। मुसन चौधरी भी अशिक्षित थे और ताड़ी बेचने का काम करते थे। लेकिन जगलाल चौधरी को उच्च शिक्षा दिलवाने के लिए अत्यन्त प्रयत्नशील थे। वर्ष 1903 में उनका नामांकन छपरा जिला स्कूल में करवाया गया। वे 17 वर्ष की उम्र में मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हुए। वर्ष 1914 में साइंस कॉलेज, पटना से आइएससी की परीक्षा पास करने के उपरांत उन्होंने कलकत्ता मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया।