ग्रीनपार्क में संविदा पर तैनात फिजियोथेरेपिस्ट अपना कार्य छोडकर कर रहा अधिकारी की चाकरी

कानपुर

Bhupendra Singh : कानपुर के ग्रीन पार्क स्टेडियम में संविदा पर तैनात फिजियोथेरेपिस्ट अपना कार्य छोडकर वहां तैनात अधिकारी की चाकरी में हर समय व्यस्त दिखायी देते है। वह सुबह से लेकर शाम तक उप निदेशक के इर्द-गिर्द ही मंडराया करते हैं। यही नही वह उप निदेशक के फोन कॉल भी रिसीव करने में कोताही नही बरतते। इसके अलावा वह ग्रीनपार्क आने वाले हर पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी के लिए बनाए गए प्रोटोकाल के तहत उनको सुविधा मुहैया कराने में व्यस्त ही रहते है। वहीं दूसरी ओर मैदान में अभ्यास करने वाले बच्चों को अगर खेलते समय चोट लग जाए और उसे चिकित्सा सुविधा समय से मिल जाए तो गनीमत ही समझा जाए। ग्रीनपार्क में खिलाडियों के लिए तैनात किए फिजियोथैरेपिस्ट पूरे दिन नदारद ही पाए जाते हैं या फिर उच्च् अधिकारी के इर्द गिर्द ही नाचते दिखायी देते हैं। ऐसे में मैदान में खिलाड़ियों के अभ्यास के समय कोई भी चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं रहती।

शासन की ओर से जारी गाइडलाइंस में खेल विभाग के हर स्टेडियम में चिकित्सीय सुविधा व फिजियोथैरेपिस्ट की तैनाती साफ तौर पर इंकित है जिससे खिलाड़ियों के लिए चिकित्सा सुविधा मुहैया हो। वर्तमान समय में ग्रीनपार्क में तैनात फिजियोथैरेपिस्ट सुबह से शाम तक केवल अपने अधिकारी की सेवा में लगा रहते है। उनका खिलाड़ी की तरह ध्यान ही नहीं रहता जिला खेल प्रोत्साहन समिति की ओर से नियुक्त किये गये फिजियोथैरेपिस्ट स्टेनली ब्राउन अपने नियत काम को सही से अंजाम देने की बजाए दूसरे अन्‍य कार्यो में ही व्‍यस्‍त रहते हैं और खिलाडियों को सुविधा देने में अक्षम नजर आ रहें है। खिलाड़ियों ने भी कई बार अपने अधिकारी से आग्रह किया लेकिन अभी तक चिकित्सा सुविधा को जारी नहीं करवा पाए।

फिजियोथैरेपिस्ट के कमरे में सुबह से शाम तक केवल और केवल ताला ही नजर आता है जबकि खिलाड़ियों के अभ्यास के समय उनको मैदान पर मौजूद रहना आवश्यक है। गौरतलब है कि ग्रीन पार्क खेल परिसर में हॉकी- क्रिकेट- फुटबॉल- एथलेटिक्स के अलावा अन्य छोटे-बड़े खेलों के लिए अभ्यास करने वाले खिलाड़ियों का आना जाना बराबर लगा रहता है। सबसे ज्यादा डर हॉकी खेलने वाले खिलाड़ियों को ही बना रहता है क्योंकि इस खेल में खिलाड़ियों को चोट कभी भी लग सकती है। ग्रीनपार्क में फुटबाल का प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले रिषभ शर्मा ने बताया कि मैदान में अभ्यास करते समय फिजियोथेरेपिस्ट मौजूद नही रहते। अगर किसी खिलाडी को अभ्यास करते समय चोट लग जाए तो वक्त पर इलाज ही सम्भव नही है।