Kanpur : मिटटी के दियों के साथ टेराकोटा के दिए की मांग बढी

उत्तर प्रदेश कानपुर

Kanpur : दीपावली पर दीपों की जगमगाहट की अनोखी खूबसूरती सभी को आकर्षित करती है। अमावस की काली रात में दीयों का सुनहरा प्रकाश संदेश देता है विपरीत परिस्थितियों का उत्साह से सामना करने का। दीया बताता है कि जीवन में चाहे कितना भी अंधियारा क्यों न हो उम्मीद और कोशिशें उजाला जरूर करती हैं। कोरोना महामारी के बाद की इस बार की दीपावली पर ऐसे ही आशा की किरणों को जगाने के लिए बाजार सज गए हैं तरह-तरह के आकर्षक दीयों से। जिसमें टेराकोटा से बने डिजाइनर दीयों के बीच पारंपरिक मिट्टी के दीयों की डिमांड भी बनी हुई है। पिछले आठ-दस सालों से बाजार में हर बार ये टेराकोटा के डिजाइनर दीये भी आ रहे हैं। जो देखने में इतने सुंदर होते हैं कि इन्हें लेने से खुद को रोक नहीं पाते। टेराकोटा के दीये सुंदर होते हैं लेकिन परंपरा मिट्टी के दीए जलाने की भी है तो मिटटी के दियो की मांग भी कम नही हो सकी है बाजार से खरीदने के लिए अगर टेराकोटा के दिए ढूढे जा रहे है तो साथ ही मिटटी के दियों को भी खरीदा जा रहा है । ऐसा नहीं है कि दीपावली पर घर को सजाने के लिए सिर्फ महिलाएं ही खरीदारी कर रही हैं।

त्योहार का उत्साह पुरुषों को भी मार्केट ले आया है जो टेराकोटा के दिए और अन्य उत्पादो की ओर अपना आकर्षण छोड नही पा रहे। बाजारो मे एक बार फिर से रौनक लौटने लग पडी है शहरों से बड़े पैमाने पर यहां के टेराकोटा शिल्पकारों को आर्डर मिले हैं। कभी खरीदारों का इंतजार करने वाले शिल्पकारों का इंतजार अब व्यापारी कर रहे हैं। दीपावली के मौके पर प्रदेश के बाहर टेराकोटा उत्पादों की खूब मांग रहती है। रतनदीप, स्टैंड दीया, लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा के साथ दीया, हाथी के साथ दीये की खूब मांग है। दीये के अलावा फैंसी उत्पादों की भी खूब मांग आ रही है।

पहले टेराकोटा उत्पादों को लेकर स्थानीय स्तर पर अधिक रुचि नजर नहीं आती थी लेकिन अब स्थानीय स्तर पर भी मांग खूब बढ़ गई है। सभी शिल्पकार अभी बाहर का आर्डर पूरा करने में जुटे हैं, उसके बाद स्थानीय स्तर पर माल तैयार किया जाएगा। पहले की तुलना में स्थानीय स्तर से अधिक ग्राहक आ रहे हैं यही नहीं टेराकोटा उत्पादों के शोरूम में भी भीड़ बढ़ने लगी है।

वर्जन- टेराकोटा से बने दिए और अन्य उत्पाद दिखने में भी सुन्दर लगते हैं और कच्ची मिटटी की अपेक्षा कई गुना मजबूत भी रहते हैं। ये सालों साल सुरक्षित भी रखे जा सकते है इसलिए इन्हे‍ खरीदने में भी अच्छा लगता है। संघ्या जायसवाल-गृहणी–गिलिस बाजार शिवाला निवासी