नालंदा : नौबतखानों व ताजियों के पहलाम के साथ ही जिले में त्याग व शहादत का पर्व मुहर्रम शांतिपूर्ण सम्पन्न

बिहारशरीफ

—जिन हालात में प्रशासन ने मुहर्रम को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराया, वह प्रशासन के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है

बिहारशरीफ/अविनाश पांडेय: नौबतखानों व ताजियों के पहलाम के साथ ही जिले में त्याग व शहादत का पर्व मुहर्रम शांतिपूर्ण सम्पन्न हो गया। इसके पूर्व बुधवार की अलसुबह से ही नौबतखानों, ताजियों, सिपल आदि के साथ जुलूस का निकलना शुरू हुआ, जो देर शाम तक चलता रहा। मुहर्रम जुलूस सद्भावना मार्ग से होकर गुजरा और फिर सभी का पहलाम बड़ी दरगाह में किया गया।

वहीं शरारती तत्वों के गलत मंसूबों को भांपते हुए प्रशासन की ओर से इस बार शहर में चप्पे-चप्पे पर सशस्त्र पुलिस बलों की तैनाती थी। जिन हालात में प्रशासन ने मुहर्रम को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराया, वह प्रशासन के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। पुलिस ने पिछले कई दिनों से 24 घंटे ड्यूटी में तैनात रहकर किसी को भी कुछ गड़बड़ करने का मौका नहीं दिया। दोनों समुदाय के आम लोगों ने भी अमन कायम रखने में अहम योगदान दिया। हजारों लोग पारंपरिक हथियार से लैस होकर सद्भावना मार्ग से गुजरे।

युवाओं ने जमकर दिखाई फन-ए-सिपाहगिरी
शहर से लगभग 50 से अधिक अखाड़े विभिन्न मोहल्लों से निकाले गए। जिसमें हजारों लोगों ने पारंपरिक तरीके से प्रदर्शन किया। इस्लामिक झंडा व तिरंगा झंडे का कोलाज आज हर तरफ देखने को मिला। फतेह निशान, सिपर, ताजिए काआकर्षक प्रदर्शन के साथ बड़ी संख्या में लोगों ने पूरी अकीदत के साथ पारंपरिक ढंग से मुहर्रम जुलूस निकाला। महलपर, बनौलिया, भैंसासुर,काशी तकिया, चैनपुरा, बारादरी, छज्जू मोहल्ला, खरादी मोहल्ला, कागजी मोहल्ला,गढ़पर, सोहसराय व खासगंज का अखाड़ा आकर्षण का केंद्र रहा।

ताजिया व अखाड़ों के प्रदर्शन से पूरा शहर मुहर्रममय हो गया। त्याग व बलिदान के इस पर्व में अखाड़े के लोगों ने फन-ए-सिपाहगिरी व पारंपरिक अस्त्र-शस्त्रों के साथ करतब दिखाएं। पुलिस ने भी जगह-जगह व्यवस्था में पूरा सहयोग किया। अखाड़ों के साथ युवकों के साथ बूढ़े व बच्चों का भी जुनून देखने लायक था। नौबतखाना, सिपल, निशान, ताजिया आदि को देखने के लिए सड़क के दोनों ओर बड़ी संख्या में महिलाओं की भीड़ उमड़ पड़ीं। नालंदा के पुलिस अधीक्षक अशोक मिश्रा स्वयं मॉनिटरिंग कर रहे थे। शहर के गगन दीवान सहित सद्भावना मार्ग के कई स्थानों पर वह अपनी टीम के साथ डटे थे।