Bihar : पंजाब के संत जगदीश मुनि नें प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति पर योग बाबा रामदेव को दी चुनौती

बक्सर

प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति को जीवन में आत्मसात करने की जरूरत। ऐलोपैथिक चिकित्सक व ऐलोपैथिक दवा के धंधा से जुड़े लोग प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति से खाते है भय।

Buxar, Vikrant : पीड़ित मानवता की सेवा संकल्प लेकर बिहार की धरती डुमरंाव में पधारे पंहुचे पंजाब के संत जगदीश मुनि ने कहा कि देश में प्राकृतिक चिकित्सालय खोले जाने की जरूरत है। उन्होनें अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार के स्वास्थ मंत्री से लेकर पंजाब राज्य के स्वास्थ मंत्री से मुलाकात कर देश व प्रांत में प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र यानि अस्पताल खोले जानें की मांग की। पर राज्य व केन्द्र सरकार के स्वास्थ मंत्री ने अब तक ध्यान नहीं दिया। संत जगदीश मुनि ने दावे के साथ कहा कि उनके द्वारा न्यूरो 108 हीलिंग सिस्टम का इजाद किया गया है। उन्होनें चुनौती भरे लहजे में खुले मंच से कहा कि योग बाबा रामदेव प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति के माध्यम से अपने हाथो एक भी रोगी को ठीक कर दें तो वे उन्हें मानने को तैयार है। पंजाब से बिहार की धरती डुमरांव में पहली बार पधारे संत जगदीश मुनि रोटरी स्व.जगदीश प्रसाद की याद में आयोजित श्रद्धांजलि समारोह का दीप प्रज्जवलित कर उद्घाटन करने के बाद समारोह को संबोधित कर रहे थे।उन्होनें सामान्य नागरिको से प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति से ईलाज कराने के साथ इस पद्धति को समझने की अपील की।

उन्होनें कहा कि आज वर्तमान परिवेश में हरेक 10 नवजात शिशुओं में कम से कम 3 नवजात शिशु सीपी प्रभावित पैदा होते है। इसकी वजह गलत ऐलोपैथ दवा का सेवन एवं गलत प्रसव प्रक्रिया है। उन्होनें कहा कि आज के ऐलोपैथ चिकित्सक महज 3 माह के अंदर ही गर्भवती महिला को मिहनत का काम करने से मना कर देते है। प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति के अनुसार गर्भवती महिला को 9 माह के अतिंम क्षण तक हाथ पांव चलाने के लिए कुछ न कुछ काम करते रहना चाहिए। संत श्री मुनि ने कहा कि बुद्ध पुरूषो ने कठिन तपस्या करने के बाद प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति की खोज करने का काम किया था। संत श्री मुनि ने कहा कि चिकित्सा विज्ञान ने न्यूरो रोग की खोज तो जरूर कर ली। पर चिकित्सा विज्ञान दीमाग की समुचित रोग के ईलाज को दवा की खोज आज तक नहीं कर सकी है। उन्होनें कहा कि केन्द्र व राज्य सरकार को सिवील अस्पताल खोलने की जरूरत है।

साथ ही उस अस्पताल में ऐलोपैथ,होमियोंपैथ एवं आर्युवेद के आलोव प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति विशेषज्ञ की स्थापना करने की जरूरत है। उन्होनें कहा कि इस डुमरांव शहर में आयोजित शिविर में सर्वाधिक तौर पर माईग्रेन के रोगी ईलाज को पंहुच रहे है। उन्होनें कहा कि प्रदूषित वातावरण में सर दर्द का ईलाज महज ऐलोपैथ की दवा से ठीक कराने के चक्कर में लापरवाही कर बैठते है। जो आगे चलकर गंभीर होकर माईग्रेन में तब्दील हो जाता है। ऐलोपैथ दवा का साईड इफैक्ट है। उन्होनें कहा कि प्रकृति की गोद में बैठने को समय देने वाले कभी भी सर दर्द के शिकार नहीं हो सकते है। प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति के अनुसार मानव को शरीर से मिहनत करना जरूरी है।

उन्होनेें कहा कि वे करीब 30 सालो से न्यूरो हीलिंग विधि प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति द्वारा मानव सेवा का काम कर रहा हूं। मौंके पर पूर्व सांसद अली अनवर ने संत श्री मुनि के प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति की जमकर सराहना की और कहा कि संत श्री मुनि के प्रति बिहार के लोग आभारी है। डुमरांव विधायक डा.अजीत कुमार सिंह ने प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति के विशेषज्ञ संत श्री मुनि के डुमरांव की धरती पर आगमन को लेकर हर्ष व्यक्त किया और आयोजनकर्ता जे पी मेमोरियल चैरिटे्बल ट्स्ट के प्रबंध ट्स्टी प्रदीप कुमार के प्रति साधुवाद प्रदान किया। वहीं समारोह मंच पर पूर्व सांसद अली अनवर,विधायक डा.अजीत कुमार, वरीय उपसमाहर्ता विकास कुमार जायसवाल,समाजसेवी दशरथ प्रसाद विद्यार्थी, पत्रकार प्रदीप कुमार जायसवाल ने संत श्री मुनि का माल्र्यापण कर व पुष्प गुच्छ प्रदान कर स्वागत किया। आगत अतिथियों का स्वागत रोटरी जे.पी.आई अस्पताल के प्रबंधक अजीत कुमार जायसवाल, प्रमोद कुमार एवं प्रशांत कुमार ने किया। बाद में आयोजन स्थल जे पी आई अस्पताल के परिसर में पंजाब के संत जगदीश मुनि के हाथों गरीबों के बीच कंबल का वितरण किया गया। इसके पूर्व आगत अतिथियों ने रोटरी स्व.जगदीश प्रसाद की प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित किया।