चंपारण : यूरिया के लिए किसानों में हाहाकार, फिर भी कालाबाजारी जारी

पश्चिमी चंपारण बिहार
  • कहा, कृषि सलाहकार व कृषि समन्वयक फोन तक नहीं उठाते किसानों के

सुगौली, मृत्युंजय पाण्डेय। एक तरफ यूरिया की किल्लत को लेकर क्षेत्र के किसान हकलाना हैं तो वहीं दूसरी तरफ अनुज्ञप्ति प्राप्त सरकारी खाद विक्रेताओं की बल्ले बल्ले हो रही है। ऐसा ही एक मामला सुगौली प्रखंड में आया है जहां खाद विक्रेता ने कुछ ही घंटे के अंदर कई टन यूरिया को किसानों में बांट दिया और स्टॉक नील कर दिया। दरअसल एक किसान व दैनिक अखबार के संवाददाता महेश्वर झा उर्फ शिवेश झा ने सुगौली प्रखंड कृषि पदाधिकारी को एक आवेदन देकर गुहार लगाया है कि यूरिया की कालाबाजारी कर लेने से उन्हें यूरिया नहीं मिला जिससे उनके धान के फसल की क्षति हुई है।जिसकी क्षतिपूर्ति हेतु प्रखंड़ कृषि पदाधिकारी मुआवजा दिलवायें। शिवेश झा ने प्रखंड़ कृषि पदाधिकारी को दिये आवेदन में प्रखंड के श्रीपूर स्थित “कृषि समाधान” खाद दुकान तथा कृषि सलाहकार उमेश कुमार की मिलीभगत से टनों यूरिया बेच देने का आरोप लगाया है।

श्री झा ने अपने आवेदन में बताया है कि 26-जुलाई को 5.4टन यूरिया का आवंटन श्रीपूर स्थित कृषि समाधान दुकानदार को किया गया। 27-जुलाई को जब यूरिया खरीदने जब दुकान पर गया तो दुकान के प्रोपराइटर वृज किशोर प्रसाद ने यूरिया खाद से संबंधित रेकार्ड्स पॉश मशीन में अपलोड नहीं हो पाने की बात कही। दूसरे दिन 28-जुलाई को जब सुबह कृषि सलाहकार उमेश प्रसाद से जानकारी मिली की खाद के रेकार्ड्स पॉश मशीन में लोड़ हो चुका है। जिसके बाद जब नौ बजे सुबह कृषि समाधान दुकान पर गया तो दुकानदार वृजकिशोर प्रसाद ने हैरतंगेज तरीके से बताया कि स्टॉक समाप्त हो चुका है? जिसके बाद इस बावत सूचित करने के लिए कृषि सलाहकार उमेश प्रसाद को फोन लगाया गया तो उन्होंने फोन तक रिसीव करना जरूरी नहीं समझा साथ ही जब कृषि समन्वयक इम्तेयाज को फोन से संपर्क साधा गया तो उनका फोन बंद था।

सवाल है कि जब कृषि सलाहकार और कृषि समन्वयक के फोन बंद रहेंगे या फिर रिसीव ही नहीं किया जायेगा तो फिर किसान को सही सलाह कौन देगा साथ ही विभाग और किसानों के बीच समन्वय कैसे स्थापित हो सकेगा? ये बेहद गंभीर विषय है। जबकि ये सर्वविदित है कि आज की खेती किसानी विशुद्ध रुप से वैज्ञानिक तरीके और तकनीक पर आधारित है। जहां बोआई, सिंचाई, उर्वरक देने, निराई-गुडाई तथा फसल कटाई का एक निश्चित समय होता है। अगर इन कृषि प्रक्रियाओं को समय पर नहीं किया जायेगा तो फसल की क्षति के साथ साथ फसल के पैदावार में भी भारी कमी आना तय है।

वो भी तब जब कृत्रिम तरीके से चीजें आउट ऑफ स्टाक कर दी जाय या फिर मानवीय तिकड़मों के कारण तमाम सरकारी तामझाम के बावजूद समय पर किसानों के फसलों की जरुरतें पूरी नहीं हो सकें। इस बावत नवपदस्थापित प्रखंड कृषि पदाधिकारी हरेंद्र नाथ मेहरा ने संवाददाता को बताया कि आवेदन मिला है। इस पर जांच के बाद उचित कार्रवाई किया जायेगा। उन्होंने कहा कि किसी भी स्थिति में खेती किसानी और किसानों के साथ धोखाधड़ी बर्दाश्त नहीं की जायेगी।