जननी सुरक्षा योजना : सुरक्षित मातृत्व के साथ आर्थिक सहायता की सौगात

बिहार

— मातृ शिशु स्वास्थ्य की बदलती तस्वीर, प्रति माह औसतन 2000 से अधिक संस्थागत प्रसव
— प्रसव के दौरान होनेवाली जटिलताओं को रोकने के लिए संस्थागत प्रसव है जरूरी- सिविल सर्जन

बिहारशरीफ/अविनाश पांडेय: संस्थागत प्रसव हर मायने में गर्भवतियों व शिशुओं के स्वास्थ्य के लिए सबसे सुरक्षित विकल्प है। इससे प्रसव के दौरान होने वाली मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाना संभव हो सका है। साथ ही प्रसव पूर्व एवं बाद में में भी जच्चा- बच्चा के स्वास्थ्य संबंधी सभी आवश्यकताओं के लिए भी अलग से सोचने या खर्च करने की आवश्यकता नहीं है। जननी सुरक्षा योजना के तहत गर्भवती को पोषण के लिए आर्थिक सहायता भी दी जा रही है।

इस योजना के बारे में विस्तार से बताते हुये सिविल सर्जन डॉ. अविनाश कुमार सिंह ने कहा, योजना का लाभ ग्रामीण एवं शहरी दोनों क्षेत्रों में उपलव्ध है। ग्रामीण इलाके की गर्भवती महिलाओं को 1400 रूपए एवं शहरी क्षेत्र की महिलाओं को 1000 रूपए दिए जाते हैं। है। जबकि प्रसव के तुरंत बाद परिवार नियोजन के स्थायी साधन अपनाने पर प्रसूति को 2000 रुपये व प्रसव के सात दिन बाद नियोजन कराने पर आर्थिक सहायता के रूप में 3000 रुपये दिये जाने का प्रावधान है। वहीं संस्थागत प्रसव के लिए गर्भवतियों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रति प्रसव शहरी क्षेत्र की आशाओं को 400 व ग्रामीण आशाओं को 600 रुपए की प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है ।

पंजीकृत गर्भवतियों को मिलेगा लाभ
डॉ. सिंह ने बताया कि इस योजना का लाभ उठाने के लिए गर्भवती महिलाओं को अपने प्रसव और शिशु के जन्म के लिए आशा के सहयोग से सरकारी अस्पतालों पर पंजीकरण कराना होता है। पंजीकृत महिलाओं को इस योजना का पूर्ण लाभ प्राप्त होता है। इसके अलावा गर्भधारण के बाद से ही फ्रंट लाइन वर्कर्स (एएनएम, आशा कार्यकर्ताओं व सेविकाओं) की सहायता से गर्भवतियों के लिए सही आहार से लेकर प्रसव पूर्व जांच कर उनके शारीरिक बद्लाव, यूरिन, ब्लड शुगर, एचआईवी, हीमोग्लोबिन, रक्तचाप, वजन, बच्चे की स्थिति और विकास का पूरा ध्यान रखा जाता है। साथ ही जांच के बाद आवश्यकतानुसार लिखी दवाएं महिलाओं को मुफ्त दी जाती हैं जो की घर में प्रसव के दौरान संभव नहीं हो पाता है।

प्रति माह 2000+ संस्थागत प्रसव
जिला स्वास्थ्य समिति से मिले अप्रैल व मई महीने के आंकड़े के अनुसार जिले में कुल 4451 संस्थागत प्रसव हुये हैं, जबकि इसकी तुलना में गृहप्रसव का आंकड़ा काफी कम है। विदित हो की राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के आंकड़े भी इस बदलती तस्वीर को दर्शा रहे हैं। जहां चौथे सर्वेक्षण में संस्थागत प्रसव का आंकड़ा 78.5 प्रतिशत था । वहीं वह बढ़ कर 2019-20 तक 80.3 प्रतिशत हो चुका है। येआँकड़ें योजना के प्रति आम लोगों में बढ़ी हुई जागरूकता को भी दर्शाता है।
योजना के अन्य लाभ : इस योजना के अंतर्गत गर्भवती महिलाओं के लिए ये सुविधाएं शामिल है-
 सामान्य एवं सिजेरियन प्रसव की निःशुल्क व्यवस्था
 निःशुल्क दवा की व्यवस्था
 गर्भवती को उनके घर से लाने एवं प्रसव के बाद अस्पताल से एम्बुलेंस द्वारा घर पहुँचाने की निःशुल्क व्यवस्था
 प्रशिक्षित चिकित्सक एवं नर्स के द्वारा निःशुल्क प्रसव प्रबंधन
 नवजात शिशुओं में बेहतर प्रतिरक्षण हेतु शिशु जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान सुनश्चित कराने की व्यवस्था