अपराध के बढ़ते ग्राफ ने सुशासन पर किये सवाल खड़े

बिहार

स्टेट डेस्क: गोपालगंज में एक बार फिर से अपराध के बढ़ते ग्राफ ने सुशासन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मामला थावे थाना क्षेत्र से जुड़ा है, जहां धतीवना पंचायत के नवनिर्वाचित मुखिया सुखल मुशहर की आज सुबह गोली मारकर हत्या कर दी गयी। पंचायत चुनाव में वर्चस्व की लड़ाई में हत्या की वारदात को अंजाम दिया गया. हत्या के बाद आक्रोशित जनप्रतिनिधियों ने अपराधियों की गिारफ्तारी किया सड़क जाम कर दिया। नगर थाने के आंबेडकर चौक के पास शव को सड़क पर रखकर जमकर हंगामा किया।

वर्चस्व की लड़ाई में बेकसूर मुखिया की हत्या ने इस परिवार को आंसूओं में डूबो दिया है। वारदात इतनी खतरनाक थी कि इलाके में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया। दरअसल थावे थाना क्षेत्र के धतीवना गांव में आज सुबह लाल रंग की बाइक पर सवार होकर पहुंचे दो अपराधियों ने नवनिर्वाचित मुखिया सुखल मुशहर की गोली मारकर हत्या कर दी। वारदात के बाद अपराधी फायरिंग करते हुए फरार हो गए। परिजनों के मुताबिक अजय सिंह, उज्जवल सिंह, कामेश्वर सिंह और कामाख्या कुमार सिंह से विवाद था. हत्या के लिए लगातार धमकी भी मिल रही थी।

पुलिस के मुताबिक मृतक मुखिया सुखल मुशहर गांव के ही पूर्व मुखिया सत्यप्रकाश सिंह के यहां रहते थे। वर्चस्व की लड़ाई में हत्या की वारदात को अंजाम दिया गया है। वारदात को अंजाम देनेवाले दोनों अपराधी हेलमेट पहनकर बाइक से पहुंचे थे। हत्या में संलिप्त अपराधियों की पहचान कर ली गयी और गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है। पुलिस के मुताबिक चार लोगों के विरुद्ध नामजद प्राथमिकी दर्ज किया गया है।

वहीं मुखिया की हत्या के बाद राजद ने सुशासन सरकार पर सवाल खड़ा किया है। राजद के प्रदेश महासचिव रेयाजूल हक राजू ने कहा कि पूरे बिहार में लगातार नवनिर्वाचित मुखियाओं की हत्या हो रही है। राजद ने मुशहर जाति के मुखिया की हत्या में संलिप्त अपराधियों की 24 घंटे में गिरफ्तारी करने का अल्टीमेटम दिया है। गिरफ्तारी नहीं होने पर सड़क पर उतरने की बात कही है।

गोपालगंज में जनप्रतिनिधियों की हत्या का यह पहला मामला नहीं है। इसके पहले मीरगंज थाने के सबेया में 10 जनवरी को बीडीसी गयासुद्दीन खान उर्फ मुन्ना की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी। जिसमें पुलिस सात अभियुक्तों में अबतक एक की ही गिरफ्तारी कर सकी है। वहीं फुलवरिया थाने के पांडेय परसा के बीडीसी सरफराज मियां को चार दिसंबर को गोली मार दी गयी थी। जिसमें अबतक एक अपराधी की गिरफ्तारी हुई है. लगातार नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधियों पर हो रहे हमले से पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़ा हो रहा है जनप्रतिनिधि दहशत के साये में हैं।

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