मुजफ्फरपुर : सरकारी स्कूल बना नजीर, यूनिफार्म में नजर आते हैं सभी बच्चे

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मुजफ्फरपुर/ब्रह्मानन्द ठाकुर। वैसे यह करना बडा ही कठिन था मगर असम्भव नहीं। गांव के सरकारी स्कूल में अक्सर किसान-मजदूरों के बच्चे ही पढ़ते हैं। उनके अभिभावकों की आमदनी इतनी कम होती है कि एक जरूरत पूरी करो तो दूसरी बची रह जाती है।

यही अर्थाभाव अधिकांश अभिभावकों को शायद मजबूर कर देता होगा कि वे सरकार द्वारा उनके बच्चो की यूनिफार्म मद में दी जाने वाली राशि का उपयोग घरेलू जरूरतों को पूरा करने में कर देते होंगे और उनके बच्चे यूनिफार्म के लिए तरस कर रह जाते होंगे। शिक्षक, शिक्षा समिति और प्रबंध समिति के सदस्यों ने भी इस पर कभी ध्यान नहीं दिया।

ऐसी ही परिस्थितियों के बीच जिले के बंदरा प्रखंड के उत्क्रमित हाईस्कूल रतनमनियां के प्रभारी प्रधानाध्यापक की मेंहनत रंग लाई और स्कूल के सभी बच्चे यूनिफार्म में नजर आने लगे। बंदरा उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय, रत्नमनिया के 80 प्रतिशत बच्चे अब प्राइवेट स्कूल की तरह यूनिफार्म में दिखने लगे हैं।

घर से विद्यालय के लिए जब बच्चे यूनिफॉर्म में निकलते हैं तो रास्ते मे उन्हें देख लोगो को सहसा विश्वास नही होता कि ये किसी सरकारी स्कूल के छात्र हैं। सभी बच्चों की यूनिफॉर्म की पॉकेट एवं बेल्ट पर लगे विद्यालय के ‘लोगो’ ने प्राइवेट और सरकारी विद्यालय के अंतर को समाप्त कर दिया है।

विद्यालय के प्रधानाध्यापक दीपक प्रसाद सिंह बताते हैं कि उन्होने यूट्यूब पर समस्तीपुर जिले के एक सरकारी स्कूल में यह व्यवस्था देख अपने विद्यालय में भी इसे लागू करने का निश्चय किया था। उन्होने वर्ष 2021में इसकी शुरुआत की मगर लॉकडाउन के कारण पिछले वर्ष इसे पूरा नही किया जा सका। पहले तो सभी बच्चे एक ड्रेस में विद्यालय आएं, इसके लिए उनके अभिभावकों को तैयार किया गया।

सभी को एक साथ यूनिफॉर्म मिले, इसके लिए दुकानदार से बात कर रेडीमेड ड्रेस उपलब्ध करायी गयी। पहले पोशाक योजना की राशि मिलने पर कुछ अभिभावक अपने बच्चे की ड्रेस बनवाते थे तो कुछ नहीं बनवाते थे। लेकिन, अब अभिभावकों की सोच बदली है। इसी का परिणाम है कि आज 80 प्रतिशत नामांकित बच्चे यूनिफॉर्म में विद्यालय आते हैं।

एचएम बताते हैं कि आने वाले दिनों में पोशाक के बाद उन्हें ‘लोगो’ समेत टाई भी उपलब्ध करायी जायेगी। पोशाक में आने से बच्चों में सकारात्मक प्रभाव दिखने लगा है। बच्चों में हीन भावना समाप्त हो गई है। विद्यालय के शिक्षकों ने बताया कि बच्चों को एक समान ड्रेस में विद्यालय आने से बच्चों के साथ शिक्षकों में भी नई ऊर्जा एवं उत्साह का संचार हुआ है। बच्चों को पढ़ाने में भी आनंद आता है। इसका शिक्षकों के साथ बच्चों पर सकारात्मक एवं प्रेरक असर पड़ रहा है। इलाके में इसकी सराहना भी हो रही है कि काश यह व्यवस्था सभी सरकारी स्कूलों में होती।

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