विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना पहुंचे कानपुर, गंगा पुल पर हुआ जोरदार स्वागत

Politics उत्तर प्रदेश कानपुर

कानपुर/बीपी प्रतिनिधि। योगी सरकार 2.0 में विधानसभा अध्यक्ष बने सतीश महाना शुक्रवार को लखनऊ से कानपुर पहुंचे। कानपुर जाने के दौरान जाजमऊ में गंगा पुल पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया। वे कानपुर में कई कार्यक्रमों में शिरकत करेंगे।

सतीश महाना का स्वागत करने के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेता बीडी राय के नेतृत्व में कानपुर नगर, उत्तर, दक्षिण एवं ग्रामीण के सभी भाजपा कार्यकर्ता सेंट्रल संगठन के साथ सभी विधायक जनप्रतिनिधि पार्षद बड़ी संख्या में एकत्र हुए। गंगा पुल पर पार्षद दल के उपनेता कैलाश पांडे के नेतृत्व में बड़ी संख्या में फूल-माला एवं बैंड-बाजे के साथ कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

वहीं दूसरी ओर राकेश तिवारी के संयोजन में जगह-जगह स्वागत कैंप लगाए गए। मुख्य रूप से महापौर प्रमिला पांडे, पूर्व मंत्री नीलिमा कटियार, विधायक सुरेंद्र मैथानी, उपेंद्र पासवान, जिला अध्यक्ष सुनील बजाज, बीना आर्य पटेल, अनीता गुप्ता, कानपुर बुंदेलखंड युवा मोर्चा क्षेत्रीय अध्यक्ष सुनील साहू, दर्जा प्राप्त मंत्री गुरविंदर सिंह छाबड़ा, विकी, वरिष्ठ भाजपा नेता आशीष शर्मा, शानू, प्रदेश युवा मोर्चा के प्रमोद विश्वकर्मा, नमामि गंगे संयोजक श्रीकृष्ण दीक्षित बड़े, योगेंद्र दुबे, रामकृष्ण सेगर, युवा मोर्चा शिवांग मिश्रा, पियूष आनंद, पार्षद विकास जायसवाल, गुरु नारायण गुप्ता, शिवम दीक्षित, सौरभ तिवारी, पीके शुक्ला एवं सर्वेंद्र सराफ आदि लोग मौजूद थे।

आपको बता दें कि सतीश महाना लगातार आठ बार विधायक बनकर इतिहास रचा है। उनके पास योगी आदित्यनाथ के पहले कार्यकाल में औद्योगिक विकास विभाग था। वे पांच बार कानपुर कैंट और तीन बार महाराजपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीते हैं। पिता राम अवतार महाना के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े होने की वजह से वह भी बचपन से ही स्वयंसेवक बन गए थे।

बीएससी तक की शिक्षा ग्रहण करने वाले सतीश महाना इससे पहले नगर विकास राज्यमंत्री भी रह चुके हैं। 14 अक्टूबर 1960 को जन्मे सतीश महाना 62 वर्ष के हैं। वह खादी, ग्रामीण उद्योग, टेक्सटाइल, एमएसएमई, निर्यात प्रोत्साहन मंत्री भी रह चुके हैं। उन्होंने राम मंदिर आंदोलन में भी बढ़चढ़ कर भाग लिया था। 1991 में वह कैंट विधानसभा क्षेत्र से पहला चुनाव जीते थे। इसके बाद वह 1993, 1996, 2002, 2007 में कैंट विधानसभा सीट से ही चुनाव जीते।

2009 में विधानसभा सीटों का परिसीमन हो गया तो पार्टी ने उन्हें महाराजपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लडऩे के लिए कहा। 2012 के चुनाव में वह महाराजपुर विधानसभा क्षेत्र से ही मैदान में उतरे। यहां से भी उन्होंने जीत हासिल की और इसके बाद 2017 और 2022 में भी उन्हें जीत हासिल हुई। यह उनकी लगातार आठवीं जीत थी।

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