मुजफ्फरपुर/ब्रह्मानन्द ठाकुर। ‘एक गांव-घर की कथा कहते हैं आपसे, सब कुछ वहां पर भी है हमारे से आप से’ यही कहते हुए जमूरा डुगडुगी बजाते दर्शकों के बीच उपस्थित होता है। लोग उसकी ओर उत्सुकता से देखने लगते हैं। जमूरा दर्शकों से अपने मन की व्यथा सुनाते हुए कहता है, अपनी बेवकूफी से उसे भी बहुत दुख उठाना पडा था जब वह अपने बेटे की जान समय रहते चमकी से नहीं बचा पाया। इस कारण अब उसे खेला दिखाने मे मजा नहीं आता है।
सीफार, केयर तथा जिला प्रशासन के सहयोग से नुक्कड़ नाटक के माध्यम से जिले के एइएस प्रभावित गांवो मे पुनः जागरूकता अभियान की शुरुआत की गई है। जो अति प्रभावित क्षेत्रों में घूम-घूमकर नुक्कड़ नाटक के माध्रम से लोगों को जागरूक करेगी। एक गांव-घर…कुछ यही कहते हुए जमुरा डुंगडूगी बजाते हुए आता है। अपनी मन की व्यथा सुनाता है, वह कहता है कि अपनी बेवकुफी से उसे भी बहुत दुख हुआ था, जब समय रहते वह अपने बेटे की जान चमकी से नहीं बचा सका। इस कारण उसे अब खेला दिखाने में मजा नहीं आता।
यह दृश्य है चमकी पर केन्द्रित नुक्कड नाटक की जिसे टीम ने एइएस प्रभावित दादर कोल्हुआ और मुस्तफापुर गांव मे प्रस्तुत किया। जोगीरा की डुगडुगी और भावना प्रधान बातों से शुरू होने वाले नाटक के केन्द्र मे एक बच्चा रमुआ है। एक दिन सुबह मे रमूआ को तेज बुखार हो जाती है। फिर उसके मुऔह से झाग निकलने लगता हैःयह देखकर उहके माता-पिता बेचैन हो जिते हैं। मां वैद्य जी को बुलाने की बात कहती है तो पिता झाड-फूंक करने वाले किसी ओझा को बुलाने की बात कहता है।यह सब देख कर जमूरा कहता है, उसे अब जाना ही पडेगा और वह उस परिवार मे पहुंच कर बच्चे को अस्पताल ले जाने के लिए 102 नम्बर पर काल कर एम्बुलेंस बुलाने और बच्चे को तुरत अस्पताल ले जाने की सलाह देता है।
यह भी पढ़ें…
रमुआ को अस्पताल ले जाया जाता है और वहां उसकी जान बच जाती है। इसके बाद नाटक मे एक डाक्टर आता है और वहां उपस्थित लोगों को ऐसी बीमारी हो जाने पर क्या करना चाहिए, इसके बारे मे विस्तार से बताता है। इस नाटक को लेकर ग्रामीणों मे बडा उत्साह देखा जा रहा है। सीफार, केयर तथा जिला प्रशासन की ओर से इस अभियान की शुरुआत की गई है जिसके तहत जिले मे एइएस प्रभिवित 52 जगहों पर इस बीमारी से बचाव का संदेश नुक्कड नाटक के माध्यम से दिया जाएगा।