महाराष्ट्र शिवसेना संकट : सीएम आवास छोड़ मातोश्री पहुंचे उद्धव का दामन अब 17 सांसदों ने भी छोड़ दिया

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मुंबई, सेंट्रल डेस्क । गुरुवार को ताजा फेरबदल में सामने आया है कि सीएम आवास छोड़ कर मातोश्री पहुंच गए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। पार्टी से बागी हुए एकनाथ शिंदे ने अपने साथ 45 विधायकों के होने का दावा किया है। उन्होंने कहा है कि उन्हें 46 विधायकों का समर्थन प्राप्त है।

बुधवार देर रात पार्टी के सात और विधायक राज्य से निकलकर गुवाहाटी में एकनाथ शिंदे से जाकर मिल गए। वहीं, अब नई खबर यह आ रही है कि पार्टी के 17 सांसद भी उनके साथ आ सकते हैं। इसमें वासिम की सांसद भावना गावित, ठाणे सांसद राजन विचारे, पालघर सांसद राजेंद्र गावित, रामटेक सांसद कृपाल तुमाने और कल्याण सांसद श्रीकांत शिंदे  ने अपना समर्थन शिंदे को देने की बात कह भी दी है। वहीं सांसद राजन विचारे तो 3 दिन से गुवाहाटी में ही मौजूद है।

माना जा रहा है कि जल्द यह आंकड़ा 17 सांसदों तक पहुंच जाएगा। उद्धव ठाकरे ने आज सुबह 11:30 बजे शिवसेना विधायकों की बैठक बुलाई। जो थोड़ी देर बाद ही कैंसिल भी कर दी गई। इस घटना से भी कयास बाजी तेज हो गई है कि शिवसेना अब उनके हाथ से फिलसकर शिंदे के पास पहुंच गई है।

इसके पहले शिवसेना ने व्हिप जारी कर विधायकों को शाम को मुख्यमंत्री आवास पहुंचने का आदेश दिया और न आने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी। कुछ ही देर में एकनाथ शिंदे के ट्वीट ने हलचल मचा दी। शिंदे ने कहा कि ये व्हिप अवैध है। इसके अलावा उन्होंने सुनील प्रभु को हटाकर भरत गोगावले को अपना चीफ व्हिप नियुक्त किया है। यानी शिंदे अब खुद शिवसेना पर दावा ठोक रहे हैं।

इसके साथ ही एकनाथ शिंदे ने 34 विधायकों के समर्थन वाली चिट्ठी राज्यपाल और डिप्टी स्पीकर को सौंप दी है। शिंदे 46 विधायकों के होने का दावा कर रहे हैं। हालांकि सूत्रों के मुताबिक उनके साथ करीब 50 विधायक हैं।

गुवाहाटी में अभी 33 शिवसेना के विधायक हैं, दो निर्दलीय हैं। अभी-अभी शिवसेना विधायक संजय राठोर और जोगेश कदम भी पहुंचे हैं। इनके अलावा तीन और विधायक योगेश कदम, मंजूला गावित और गोपाल दल्वी सूरत एयरपोर्ट से गुवाहाटी के लिए निकल चुके हैं। साथ में महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल भी हैं। यानी संख्या 40 हो गई है।

इसके पहले उद्धव ने कैबिनेट की बैठक भी बुलाई थी पर कोरोना का हवाला देकर इससे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुटे। बैठक के थोड़ी ही देर बाद उनकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आ गई। इस बैठक से ही आठ मंत्री गायब रहे। इस बैठक से पहले संजय राउत इशारा कर चुके हैं कि विधानसभा भंग होने की दिशा में जा रही है। उद्धव के बेटे आदित्य ठाकरे ने अपने ट्विटर बायो से मंत्री पद हटा लिया।

शिंदे 40 विधायकों को लेकर गुवाहाटी पहुंचे हैं। सारे विधायक होटल रेडिसन ब्लू में ठहरे हैं। होटल के बाहर और अंदर असम पुलिस का पहरा है। सीआरपीएफ के जवान भी होटल के बाहर मौजूद हैं।

होटल के अंदर से सिर्फ पुलिस अफसरों की गाड़ियां ही निकल सकती हैं। शिंदे ने अपने साथ 46 विधायकों के होने का दावा किया है और कहा है कि महाराष्ट्र सरकार से समर्थन वापसी के पत्र पर सबसे दस्तखत करवा लिए गए हैं। इन सभी विधायकों से शाम को राज्यपाल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़ेंगे।

भाजपा फिलहाल भाजपा वेट एंड वाच की स्थिति में है। मुंबई के अलग-अलग इलाकों में भाजपा नेता मीटिंग कर रहे हैं। एनसीपी की मीटिंग वाईबी चव्हाण हॉल में हुई है। इसमें पार्टी विधायकों को शरद पवार से संबोधित किया है। बालासाहब थोराट के बंगले पर कांग्रेस के विधायकों की बैठक हुई है। इसमें कमलनाथ ने सभी विधायकों को संबोधित किया है।

शिवसेना ने सभी विधायकों के नाम एक पत्र जारी कर शाम पांच बजे तक सभी को मुंबई आने के लिए कहा है। अगर वे शाम की मीटिंग में शामिल नहीं होते हैं तो उनकी पार्टी की सदस्यता रद्द मानी जाएगी। इसी के बाद सारी कहानी पलट गई।

पूरे घटनाक्रम को देखकर लगता है कि शिवसेना ऑपरेशन लोटस का शिकार हो गई। यानी सारा खेल बीजेपी के कमल का खिलाया हुआ है। इसकी पुष्टि संजय राउत का यह बयान भी करता है कि बिना बीजेपी के समर्थन के शिवसेना के विधायकों का अपहरण नहीं किया जा सकता था।

पार्टी पर कब्जा न करना होता तो शिंदे क्यों करते 37 से ज्यादा विधायकों को पक्ष में

एकनाथ शिंदे को दलबदल कानून से बचते हुए उद्धव सरकार गिराने के लिए शिवसेना के 37 विधायक चाहिए, फिर भी वो बागी विधायकों की संख्या बढ़ाने में लगे हैं। गुवाहटी के पांच सितारा होटल के बाहर शिंदे ने 46 विधायक साथ होने का दावा किया। सूत्र बता रहे हैं कि बागियों की तादात 50 तक पहुंच सकती है। वहीं बीजेपी का विधानसभा सत्र बुलाने की मांग न करना भी इसी ओर इशारा है कि खेल ऑपरेशन लोटस का है। पार्टी पर कब्जे की नियत न होती तो शिंदे उद्धव से खुली बगावत के बावजूद क्यों कह रहे हैं कि वो बाला साहेब के सच्चे शिवसैनिक हैं और उन्होंने शिवसेना नहीं छोड़ी है।