नालंदा : एनीमिया सुरक्षित प्रसव एवं मातृ शिशु स्वास्थ्य में सबसे बड़ी रुकावट

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बिहारशरीफ/अविनाश पांडेय। आज की जीवन शैली में एनीमिया एक आम स्वास्थ्य समस्या है , जिससे काफी लोग ग्रसित हैं। लेकिन इसे लेकर सामान्य सी भी लापरवाही इसे गंभीरतम रोगों की श्रेणी में ला सकती है। विषेशरूप से गर्भवस्था के दौरान की अनिमिया न सिर्फ माँ बल्कि उसके गर्भस्थ भ्रूण के सम्पूर्ण विकास के लिए भी संकट है।

इस दौरान शिशु के विकास के लिए शरीर को सामान्य से अधिक मात्रा में रक्त की आवश्यकता होती है। अगर इस दौरान गर्भवती पर्याप्‍त आयरन या अन्‍य पोषक तत्‍व नहीं ले रही हैं तो शरीर में अधिक खून बनाने के लिए जरूरी लाल रक्‍त कोशिकाओं का निर्माण रुक सकता है और गर्भवती में रक्त की कमी हो सकती है।

लौह तत्वयुक्त आहार (आयरन सप्लिमेंट्स) से करें रक्त की कमी पूरी : एनएफएचएस 5 -2019-20 के आंकड़ों के अनुसार नालंदा जिले में प्रजनन उम्र (15- 49वर्ष )की प्रति 100 मे से 67.1, गर्भवती महिलाओं को एनीमिया है। है।जबकि इसी आयुवर्ग की कुल 71 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया ग्रसित है। सिविल सर्जन डॉ.अविनाश कुमार सिंह ने बताया कि गर्भवतियों को आहार के साथ आयरन, विटामिन-बी12 और फोलिक एसिड के सप्लिमेंट्स जरूर लेने चाहिए।

हीमोग्लोबिन या लाल रक्त कोशिकाओं की कमी पूरा करने के लिए सबसे जरूरी घटक आयरन है। जिले के प्रत्येक स्वास्थ्य केन्द्रों में गर्भवतियों के लिए आयरन फॉलिक सपलीमेंट्स निशुल्क उपलव्ध हैं। इसके अलावा भोजन में गन्ने का रस चना गुड के साथ हरी पत्तेदार सब्जियां, ब्रोकली, गांठ गोभी, सेम, टमाटर, चुकंदर केला,अनार, किशमिश, खजूर, अंजीर आदि शामिल करें। ये आयरन की कमी दूर कर शरीर में हीमोग्लोबीन का स्तर बनाये रखने में सहायक हैं।

लक्षणों को पहचान कर एनीमिया को करें दूर : आमतौर पर एक स्वस्थ महिला के रक्त में प्रति डेसीलीटर 12 ग्राम हीमोग्लोबीन का स्तर होना चाहिए । इससे कम की स्थिति में गर्भवती में सांस फूलना, कमजोरी, थकावट आना, चक्कर आना, घबराहट, एकाग्रता में कमी, आंखों के सामने अंधेरा छाना और आंखों, हथेलियों व नाखून का रंग पीला होना जैसे लक्षण दिखने लगते हैं।

यदि गर्भवती में ये लक्षण दिखते हैं तो सतर्क हो जाएँ। यह एनीमिया हो सकता है। बिना चिकित्सकीय परामर्श के किसी भी तरह की दवा ना खाएं। यह आपके और बच्चे के लिए नुकसानदेह हो सकता है। अपने डॉक्टर्स से बात करने के बाद उनके सलाह से दवा या खुराक बदलें । प्रसव पूर्व जांच से समय समय पर माता और गर्भस्थ शिशु के विकास का पता सही सही लगता रहता है । जिससे समय रहते स्वास्थ्य समस्या को दूर करना संभव है। इसलिए कोशिश करें की आपका एक भी प्रसव पूर्व जांच न छूटने पाये।

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अन्य पोषक तत्व भी जरूरी : शिशु के सेहत के लिए गर्भवती को न सिर्फ आयरन बल्कि कैल्सियम की आवश्यकता प्रचुर मात्रा में है। क्योंकि इससे शिशु में हड्डियों के विकास के लिए जरूरी है।साथ ही इसकी कमी से गर्भवती महिलाओं में थकान, हाथ तथा पैर की अंगुलियों में ऐंठन एवं मांसपेसियों में दर्द जैसा महसूस होता है। इसलिए भोजन में अखरोट-मूंगफली, अंकुरित बीज, दलिया, डेयरी प्रोडक्ट्स (दूध, पनीर), पॉल्ट्री प्रोडक्ट्स (अंडा, मांस, मछली ) शामिल करें । ये कैल्सियम और दूसरे आवश्यक पोषक तत्वों की कमी पूरी करते हैं।